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Saturday, May 29, 2010

आपने इस्लाम और मुसलमानों की बात की तो यह समझने में देर नहीं लगी होगी कि जिन को इस्लाम ओर मुसलमानों से खुदा वास्ते का बेर हे वह तिलमिला उठे ,बिंदास को बुरा लगा ,शिवम् परेशान होगए

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फिरदोस जी
आपने इस्लाम और मुसलमानों की बात की तो यह समझने में देर नहीं लगी होगी कि जिन को इस्लाम ओर मुसलमानों से खुदा वास्ते का बेर हे वह तिलमिला उठे ,बिंदास को बुरा लगा ,शिवम् परेशान होगए ,बेरागी को पसीने छूट गए ,ओर उन्हों ने आप को आइना दिखाना शुरू कर दिया ,वह कहते हें कि उन्हें मुसलमानों से इतनी परेशानी नहीं जितनी इस्लाम से हे ,उन्हों ने पुछा हे कि साठ साल का व्यक्ति अगर सात साल की बच्ची से शादी करे तो वह धर्मगुरु केसे हो सकता हे , में उनकी इस बात का जवाब दूंगा ,लेकिन पहले एक बात आप से कह्दुं, आप समझ गयी न उन लोगों की मानसिकता ,जिन के वास्ते आप दिल निकल कर रखती रही हें ,आप ज़िन्दगी भर इमान बेचते रहिये ,मगर बे ईमानों कि तसल्ली नहीं होती,, ओर आप का इमान तो आप के ही बकोल
खतरे में हे, ,,,,,,,,,,,खेर ,,,,बात करते हें ,,,बेरागी की ,,,,उन्होंने जिस जानिब
इशारा किया हे वह यह हे कि हजरत मुहम्मद साहब ने सात साल की आयशा से शादी की थी ,,, ,,,इस सम्बन्ध में आप पहले तो यह बात ध्यान में रखें कि इस्लाम में ना बालिग बच्ची
से शादी जायज़ नहीं , ,,ओर यह मसला इस बात को साबित करने के लिए काफी हे कि यह केवल
बेरागी जेसे लोगों की जानिब से लगाया जाने वाला इल्जाम हे ,,,दूसरी बात यह हे कि इस्लाम की सब से महत्त्वपूर्ण पुस्तक कुरान हे उसमे एसा कही भी नहीं लिखा हे कि मुहम्मद साहब ने सात साल की आयशा से शादी कि थी , ओर जो बात कुरान में न हो ओर वह कुरान के हुक्म से टकराती हो तो हम उसको नहीं मानते ,स्वय मुहम्मद साहब कहते हें की अगर मेरी बात तुम्हे कुरान से टकराती मिले तो उसे दीवार से दे मारो ,इस लिए आप का यह सवाल फिजूल हे ,तीसरी बात रामपुर के तारिक अब्दुल्लाह सहित कई लोगों ने इस मसले पर शोध कर गनितिग्य आधार पर वैज्ञानिक तोर पर यह साबित किया हे कि यह महज इस्राईली (यहूदियों की शाज़िशी) रिवायत अर्थात झूठा ओर मन घडत इलज़ाम हे ,,, आप कहेंगे तो उस शोध का पूरा लेख में आप के सामने परस्तुत कर दूंगा ,,,,मगर फिर कभी ,,,क्यों कि अभी आप से कुछ ओर बातें करनी हें ,,,, आपने कहा हे ,कि जो सात साल की बच्ची से शादी करे वह धर्म गुरु केसे होसकता हे ,? ,,,आप के इस सवाल के हवाले से में पूछना चाहता हूँ कि जो घर से मक्खन चुराए ,नदी में नहाती हुयी महिलाओं के कपडे उठा कर पेड़ पर चढ़ जाए ,वे कपडे मांगें तो कहे पहले बाहर निकलो ,वे हाथों से अपने अशलील अंगों को छुपा कर बाहर
आएं ओर अपने कपडे मांगे तो वह कहे कि पहले हाथ जोड़ कर मुझे नमस्कार करो, एसा व्यक्ति धर्म गुरु केसे हो सकता हे,? ब्रह्मा शिव कि शादी में प्रोहित का कार्य करे तो पार्वती का पैर खुल जाए तो बरह्मा उसका सुन्दर पैर देखकर अस्खलित होजाए ,तो वह धर्म गुरु केसे हो सकता हे, वेद व्यास जंगल से आए ओर कोरों व् पाडुओं की माताओं को गर्भवती कर जाए तो वह धर्म गुरु केसे हो सकता हे ? पवन देवता हनुमान जी , की माता के पास आएं ओर उन्हें देख कर उन पर मोहित होजाएं ,ओर ज़बर दस्ती व्यभिचार कर के उन्हें गर्भवती बनादें तो वह धर्म गुरु केसे हो सकता हे पांच पुरुष एक पत्नी रखें ,ओर जुआं खेलें ओर जुवे में पत्नी को भी दाँव पर लगाएँ ओर मदिरा का सेवन करे तो वह धर्म गुरु केसे होसकता हे ,? ,,, पिता ओर पुत्र एक ही पत्नी से सम्भोग करे तो धर्म गुरु केसे होसकता हे ? बरह्मा जब अपनी बेटी पर ही मोहित होजाए ओर उस के पीछे भागे ओर अस्खलित होजाए तो धर्मगुरु केसे हो सकता हे ,? मुनि गोतम जानकी अप्सरा को नग्न देख कर अस्खलित होजाएं ओर अपना वीर्य सरकंडों में रख दें जिस से वेद शास्त्र्रों के ज्ञाता गुरु किर्पचारी पैदा हों तो वह धर्मगुरु केसे हो सकता हे ?,,, जब इंद्र गोतम की पत्नी अहल्लिया से व्यभिचार करें तो धर्म गुरु केसे होसकता हे ,,?बरहम ऋषि शिवामित्र मेनका के साथ,,,,,,,? संपर्क ,,,,,,,,,,,करें तो धर्म गुरु केसे हो सकता हे ,?,,,, मित्रा मुनि उर्वशी अप्सरा को देख कर काम वासना से पीड़ित हों ओर अपना वीर्य घड़े में छोड़ दें जिस से म्र्म्गमुनिव्शिष्ट पैदा हों तो वह धर्म


Tuesday, May 25, 2010

मज़हब ही सिखाता हे आपस में बेर रखना

मज़हब ही सिखाता हे आपस में बेर रखना
यह कहना हे एक मज़हब बेजार नारी का , असल में यह बेचारी चाप्लोस स्वभाव की शिकार हे ,कहती हे हिन्दू धर्म की यह खूबी हे की उसमे नारी को सम्मान दिया गया हे ,वहां नारी की पूजा होती हे , पता नहीं इस मत मरी नारी ने कोनसे हिन्दू धर्म का अध्यन किया हे ,हमने तो , हिन्दू धर्म की एक पुस्कक
में पढ़ा था ,कि ,,,, ढोल, गावर शूद्र ओर नारी ,,यह सब हें ताडन के अधिकारी ,,,, एक ओर धर्म पुस्तक जो उक्त महोदया की पसंदीदा पुस्तक भी हे,, उसके नोवें अध्याय में श्री कृष्ण कहते हें ,,, कि मेरा आश्रय पाकर नीच कुल में जन्मी स्त्रयां ,वेश ओर शूद्र भी उत्तम गति को प्राप्त होते हें ,,जहा स्त्रयां ओर शूद्र नीच कुल में उत्पन्न कहे गये हों उसकी झूटी तारीफ ही चप्लोसी हे ,हिन्दू धर्म में महिला की क्या दुर दशा हुई हे उस का अंदाज़ा करने के लिए द्रोपदी ,की कहानी पढना काफी हे , बाली ओर सुग्रीव की एक मात्र पत्नी का भी यही हाल श्री राम ने करवाया कि जिस के हाथ में सत्ता आती वह गरीब उसी की पत्नी बन कर रह जाती ,नारी कि इज्ज़त यहाँ यह हे कि ,देवताओं के देवता बरह्मा अपनी बेटी पर मोहित होकर उसके पीछे भाग पड़े थे ,उधर सीता की कहानी को लीजिये ,बेचारी को भगवन कहलाने वाले परम पूज्य श्री राम ने अग्नि परीक्षा लेने के बाद भी गर्भवती होने के बावजूद घर से निकाल दिया था ,इस्लाम धर्म जिस में फिरदोस को बुराई ही बुरिय नज़र आती हे वहां शोहर के सिवा किसी ओरत को कोई छु भी नहीं सकता ,ओर जिस धर्म की वह झूटी तारीफ कर रही हें ,उसका हाल सुनये कोरव ओर पांडव की मां अपने पति से बच्चा उत्पन्न करने में असमर्थ रही तो सास ने जंगल से वेद व्यास को बुलाकर उस के द्वारा दोनों की माताओं को गर्भवती करा दिया ,हनुमान की माता पर पवन देवता मोहित हो गये थे ,ओर उन्हों ने उसे गर्भवती कर डाला जिस से हनुमान पैदा हुए ,राजा दशरथ जब अपनी तीनों पत्नियों से बच्चा उत्पन्न करने में असमर्थ रहे तो श्रंगी ऋषि को बुलाकर पुत्रोत्पत्ति यग किया, ,,
फिरदोस जी इस्लाम पर नाजायज़ टिपण्णी करके गूलर का पेट फाड़ने पर मजबूर न करें ,,,,,,

Sunday, May 23, 2010

श्री बलबीर पुंज जी,

श्री बलबीर पुंज जी,
आपके लेख दैनिक जागरण के माध्यम से नज़र नवाज़ होते रहते हैं। मैंने अपनी एक पुस्तक में

ऐसे ही कुछ लेखों पर विस्तार से चर्चा की है। ऐसा ही आपका एक लेख ‘‘आतंक के प्रेरणा श्रोत’’ 11 मई 2010 को दैनिक जागरण में पढ़ा । आपके ज्ञान स्तर को जानकर अफसोस के साथ हंसी भी आई । चौथे कॉलम की इस पंक्ति का अवलोकन करें ..
‘‘किस मुस्लिम देश में एक गैर मुस्लिम को ‘

शासनाध्यक्ष बनाया गया?’’
आपके ज्ञान भण्डार में वृद्धि के लिए बता दूं कि

1. लम्बे समय तक इराक के प्रधानमंत्री रहने वाले तारिक़ अजी़ज गैर मुसलमान थे ।

2. कम से कम दो अवधियों के लिए तुर्की के राष्ट्रपति रहने वाले सुलेमान

ऐलदर भी गैर मुसलमान थे ।
3. अरब देश लेबनान में अगर प्रधानमंत्री मुसलमान हो तो राष्ट्रपति गैर मुसलमान होता है और राष्ट्रपति मुसलमान हो तो प्रधानमंत्री गैर मुसलमान होता है ।

4. इथोपिया में मुसलमान बहुसंख्यक हैं परन्तु वहॉं पर सरकार पूरे तौर पर गैर मुसलमानों होती है ।

आपका प्रश्न है -

अवलाकी ने किस कुरआन की विवेचना कर फैसल को बड़े पैमाने पर तबाही बचाने के लिए प्रेरित किया ?

मेरा प्रश्न है कि - ‘

शंकराचार्य, दयानन्द पाण्डे, साधवी प्रज्ञा, लेफ्टी नेन्ट कर्नल पुरोहित, और देवेन्द्र गुप्ता को मालीगांव के कब्रिस्तान, अजमेर की दरगाह और हैदराबाद की मक्का मस्जिद में बडे पैमाने पर तबाही मचाने के लिए किस धर्म पुस्तक ने प्रेरित किया ?
और ज़रा रूक कर ये भी सुने कि अभी तक जो जो मुसलमान आंतकी पकडे गये हैं वह सामान्य लोग थे । जबकि हिन्दु आंतकियों में बडे-बडे धर्म गुरू, साध्वी, ‘

शंकराचार्य, लैफ्टीनैन्ट कर्नल आदि ‘शामिल हैं । (ख्याल रहे कि दुनिया में दो ही किंगडम होते हैं एक धार्मिक किंगडम और दुसरा फौजी किंगडम) आपके तो दोनों की किंगडम आंतक में लिप्त हैं ।
एक दुसरा अंतर भी देखें, मुसलमानों ने आंतकियों पर कभी फूल नहीं बरसाये और न ही उनकी हिमायत की जबकि लैफ्टिनैन्ट कर्नल पुरोहित जब न्यायालय में पेश हुए तो कईं हिन्दू संगठनों ने उनका फूलों से स्वागत किया और ये नारे लगाये - आया आया भारत का ‘

शेर आया।
आपका प्रश्न है महमूद गजनबी, मौ

. गौरी, इब्राहिम लोदी ...... गाज़ी बनने के लिए किसने प्रेरित किया ?
मेरा प्रश्न है कि अशोक महान को रक्तपात करने, पृथ्वीराज को जयचन्द पर हमला करने और उसकी बेटी को भरे दरबार से उठा ले जाने के लिए किसने प्रेरित किया ?

आपने पूछा है, न्याय का घंटा बांधने वाले जहाँगीर ने अर्जूनदेव का वध क्यों किया ?

मैं पूछना चाहता हूं कि मराठा सरदार शिवाजी ने धोके से अपने घर बुलाकर अफज़ल खान का वध क्यों किया ? इसी में महात्मा गांधी का आर.एस.एस. के गौडसे ने वध क्यों किया ?

आपका प्रश्न हैः खिलजी ने ................ हिन्दू शिक्षण संस्थानों को ध्वस्त क्यों किया?

मेरा प्रश्न है आपकी सरकार के रहते, हिन्दू वादी ताक़तों ने मुसलमानों के धर्म स्थल बाबरी मस्जिद को ध्वस्त क्यों किया ?

यह भी नोट करें कि खिलजी अपने गुनाह की जवाबदेही के लिए मौजूद नहीं है जबकि बाबरी मस्जिद के मुलजिम स्वतन्त्र घूम रहे हैं।

आपका प्रश्न है - दो अलग-अलग जगहों में आतंकी तावड मचाने का प्रेरणा स्रोत आखिर

कौन है?
मेरा प्रश्न है कि जुआ खेलकर राजकाज के साथ पांच पांडवो की एक मात्र पत्नी द्रोपदी को भी जिता देना और जुवें में जिताए हुये को महाभारत अर्थात महायुद्ध बरपा करके दो करोड़ से अधिक इनसानों को मार देनें का प्रेरणा स्रोत आखिर कौन हैं ?

अगर आप कोई जवाब न दे सकें तो मैं बताता हूं इसका प्रेरणा स्रोत वह धर्म पुस्तक है जिस पर हिन्दूओं को इतना गर्व है कि हाईकोर्ट के एक माननीय न्यायधीश ने यह मशवरा तक दे दिया था के इसे राष्ट्रीय पुस्तक बनाया जाए । मेरी मुराद गीता से है जिसमें श्री कृष्ण अर्जून को युद्ध करने पर उभारते हुए कहते है कि युद्ध करना ही तुम्हारा धर्म है अगर युद्ध नहीं करोगे तो अधर्म हो जायेगा।

मेरा दूसरा प्रश्न है कि - आर्यो के द्वारा भारत पर आक्रमण कर यहाँ के मूल निवासियों पर अत्याचार करना और उनको दास और ‘

शूद्र बना देने का प्रेरणा स्रोत आखिर कौन है?
अगर आपको नहीं मालूम तो मैं बताता

हूँ।
वेदों के ये मंत्र देखें -

1. हमारे चारों ओर दस्यू जाति के लोग हैं वह यज्ञ नहीं करते कुछ मानते नहीं, वह अन्यवृत व अमानुष हैं । हे ‘

शत्रु हन्ता इन्द्र तुम इनका वध करो । (ऋगवेद 10-22-8)
2. इन्द्र तुम यज्ञाभिलाषी हो जो तुम्हारी निन्दा करता है उसका धन आहरत करके तुम प्रश्न होते हो, प्रचुरधन इन्द्र तुम हमें दोनों जांगों के बीच छुपा लो, और ‘

शत्रुओं को मार डालो । (ऋगवेद 8-59-10)
3. हे इन्द्र तो समस्त अनआर्यो को समाप्त कर दों । (ऋगवेद 1-5-113)

4. धर्मात्मा लोग अर्धमियों का नाश करने में सदा उधत रहते हैं । (अथर्व वेद 12-5-62)

5. उसकी दोनों आंखे छेद डालो, ह्रदय छेद डालो, आंखे फोड डालो, जीभ को काटो और दांतों का तोड डालो । (अथर्व वेद 5-29-4)

6. धर्मात्मा लोग धर्महित कार्यो से प्रिय व्यवहार करें । और दुष्टों को कष्ट देते रहें । (अथर्व वेद 12-3-49)

इस प्रकार के कई सौ मंत्र वेदों में हैं । मैं जानता हूँ कि आप इनका अर्थ बदलने का प्रयास करेंगे परन्तु आपके इस कथन के सन्दर्भ में --

‘‘ क्या उसामा बिन लादेन आदि को इस्लाम की सही जानकरी नहीं, और केवल सैकुलरिस्टों को ही सही ज्ञान है’’

मैं भी पूछना चाहता हूं कि दयानन्द पाण्डे और साध्वी प्रज्ञा, देवेन्द्र गुप्ता को हिन्दू धर्म की सही जानकारी नहीं और संघ प्रचारकों को ही सही ज्ञान है ।

प्रस्तुति

डा

. मुहम्‍मद असलम कासमी
मिल्लत उर्दू एकेडमी

मौहल्ला सोत, रुड़की

दिनांक 12-5-2010

Saturday, May 22, 2010

ब्लॉग की दुनिया में भी भांत भांत के लोगों से मुलाक़ात होती हे .अब देखिये न एक हे लफ़्ज़ों के जजीरे की शाहजादी वह कहती हें की उनका ईमान खतरे में हे ,क्यों

ब्लॉग की दुनिया में भी भांत भांत के लोगों से मुलाक़ात होती हे .अब देखिये न एक हे लफ़्ज़ों के जजीरे की शाहजादी वह कहती हें की उनका ईमान खतरे में हे ,क्यों की उन्हें बचपन से या पचपन से सवाल पूछने की आदत हे ,उनके बकोल वह मदरसे में दर्जा दो तक पढ़ी हें जहाँ उन्होंने अपनी मुल्लानी से पुछा था कि जब मुसलमान ही अल्लाह के सच्चे धर्म के मानने वाले हें तो फिर वह दुसरे मज़हब वालों की मुरादें क्यों पूरी करता हे ,मुल्लानी ने इसका कोई जवाब नहीं दिया ऊपर से कहा कि तुम्हारा ईमान खतरे में हे ,आखिर क्यों? इस लिए की जेसी नकटी देवी ऐसे ही ऊत पुजारी ,मुल्लानी अगर मुल्लानी न हो कर पढ़ी लिखी होती तो बतादेती की कुरान में अल्लाह कहते हे की वह सारेजगत के पालनहार हें (रब्बुल आलमीन ) रब्बुल मुस्लिमीन नहीं , ओर अल्लाह ने तो हर हर जिव को रिजक देना अपनी ज़िम्मेदारी में ले रखा हे ,ओर उसने कहा हे ( वमा मिन दाब्बतिन इल्ला अलाल्लाही रिज्कुहा ) अर्थात जब वह अपने न मानने वालों को भी रिजक की गारंटी देता हे तो.उनकी मुरादेपूरी करने कि बात तो भुत छोटी हे, परन्तु मुल्लानी क्या पतातीं वह तू मुल्लानी थी व्ह्भी फिरदोस कि ,उसने दन्त ओर पिलानी शुरू करदी कि तुम्हारा इमान खतरे में हे ,अब यह सारा मुल्लानी का गुस्सा कुनान पर उतर रही हे ,ओर कहती हें ,,,ताक पर रखदो इसी सब किकाबों को .........इन्हें कुरान से नफरत केवल मुल्लानी के कारण हे वरना यह गीता से बहुत प्यार करती हे ,,, इन्हों ने एक जगह लिखा हे .. हम ने गीता पढ़ी हे ओर यह हमारी पसंदीदा पुस्तक भी हे ...इनकी बातों में कितना विरोधाभास हे ,वह देखें इन्होने अपना परिचय देते हुए कहा हे कि इंसानों में भेद भाव करने वाली पुस्तकों को छोड़ कर वह हर परकार कि किताबें पढ़ती हे ,परन्तु जब वह गीता पढ़ती हें तो उन्हें नोवें अध्ध्याय का वह श्लोक नहीं दीखता जिस में कहा गया हे ,,,मेरा आशर्य पाकर नीच कुल में उत्पन्न स्त्रयां ,वेश्य ,ओर शूद्र भी उत्तम गति को प्राप्त होते हें,,असल बात यह हे कि इन्हों ने न ही गीता पढ़ी ओर न कुरान ,,,

Saturday, May 8, 2010

श्री महक जी आज एक मुद्दत के बाद ब्लॉग खोला तो आप नज़र आए ,श्री आनन्द जी ने आप की


श्री महक जी आज एक मुद्दत के बाद ब्लॉग खोला तो आप नज़र आए ,श्री आनन्द जी ने आप की समसियाओं का समाधान किया हे ,मुझे अच्छा नहीं लगता की उस बात पर टिपण्णी करूँ जिस पर उन्हों ने हाथ जोड़ कर चुप रहने को कहा हे ,परन्तु सोचता हूँ की सच को छुपाने वाला भी गुनाहगार हे ,इस लिए मुआफी के साथ कुछ बातें,,,श्री आनन्द जी ने स्वय ही माना हे की इन धर्म पुस्तकों में छेड़ छाड़ हुयी हे , अब कहने को तो कुछ रहता नहीं परन्तु अफ़सोस हे की उनहों ने फिर भी गलत को सही ठहरने का पर्यास किया हे ,किया वह बताएगें की वर्ण व्यवस्था स्वयं मनुष्य के शरीर में हे तो बाहर समाज में क्यों फेली हुयी हे ,ओर अगर विधवा को सती उस के योन शोषण के भय से किया जा ता था ,तो क्या उस समय का हिन्दू इतना बुजदिल था ,जो बहुसंख्यक होकर भी अपने सामने अपनी विधवाओं को शोषण के लिए किसी को भी लेजाने देताथा,ओर वह शोशनकर्ता कोन थे जो केवल विधवाओं को ही उठाते थे,ओर कुवारियों को ताक़तवर होते हुए भी छोड़ जाते थे ,यह अपने गुनाह का इलज़ाम दूसरों को देना हे ,एक बार राष्ट्रपति महोदया ने कहा था कि पर्दा पर्था हिदुओं में उन मुग़ल शहजादों के कारण आई जो बहु बेटियों को उठालेजाते थे ,मेरा प्रश्न यह हे कि जिन शहजादों के सामने बड़े बड़े दुर्ग आड़ नहीं बनते थे उनके सामने बारीक कपडे की झिल्ली का एक पर्दा केसे आड़ बन जा ता था ? आपने मेरी जिस किताब का हवाला दिया हे उसमे मेने यह बताया हे की आज दुनया में केवल कुरान की व्यवस्था चल सकती हे ,हिन्दू पुस्तकों के बारे में आनन्द जी कह ही चुके हें की वह पुराने समय की बात हो गयी हें ,जब की कुरान की किसी एक बात को भे एसा नहीं कहा जा सकता, फिर भी लोग इस्लाम की अर्थात सच्चाई की मुखालफत करते हे ,,,आप मेरी जिन बातों से सहमत नहीं हे उनको आपने गहराई से नहीं समझा ,वक्त मिला तो उन पर फिर कभी बात होगी ,अगर अल्लाह ने चाहा तो,,,, ,,
May 8, 2010 11:02 AM

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Rashtravaad-A Wave of Nationalism: आँखों वाले अन्धें -Dharmaandh

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