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Friday, August 6, 2010

छद्म नाम धारी सय्यद हुसैन जी

छद्म नाम धारी सय्यद हुसैन जी
आज दो दिन बाद कम्प्युटर खोला तो आप की गाल्यों का तोहफा नज़र नवाज़ हुआ , आप गलियां दीजिये और जी भर कर दीजिये , मैं भी आप के हक मैं हिदायत की दुआ करने से थका नहीं हूँ ,
दूसरी बात जो बड़े तम तराक से आप ने कही हे , की अरविन्द मिश्रा आदि के सवाल सुन कर माँ क्यों मर गयी , तो मेरे प्यारे उस की वजह यह थी कि ,,,,,, गम और भी हें ज़माने में मुहब्बत के सिवा
,,,मैं दो दिन के लिये दिल्ली चला गया था ,,जहा ५ अगस्त को इंडिया इंटरनेश्नल कल्चरल सेंटर में होने वाली एक कांफ्रेंस में मुझे सम्मलित होना था , वापस हुआ तो आप की गलियों के पत्थर नज़र आये और साथ में उक्त चेलेंज भी,,,,,
प्यारे छद्म नाम धारी ,,,,
यह कोन बड़ी बात अरविन्द भाई ने कहदी ,,मैंने अल्लाह के अस्तित्व पर कुछ बोद्धिक तर्क दिए थे ,, जब कि उन्हों ने बिना तर्क दिए ही ,,, प्रश्न कर डाला कि ,,, अब बोलो , राम हे कि नहीं ,, उन्हों ने कहा हे कि जैसे करोंड़ों मुसलमानों के लिए अल्लाह मियां हे वैसे ही ,,,,करोंड़ों के लिए राम हे ,, यह आस्था की बात हे ,, क्या यह कोई तर्क हुआ,,, ?,,, क्या बुद्धि धारी प्राणी ,हज़रत ए इन्सान इश्वर और अपने पालनहार के सम्बन्ध में इतना गैर जिम्मे दार हे कि बिना सोचे समझे , और यह देखे बिना ही कि जिस वस्तु से मैं आस्था जोड़ रहा हूँ ,,उस का अस्तित्व भी हे कि नहीं , ? ,, ऐसे ही कहीं भी अपनी आस्था को कुर्बान कर देता हे ,,, ?,,
अरविन्द जी कहते हें कि जेसे अल्लाह हे वेसे राम हे ,, यानि,,,, चे निस्बते खाक ब आसमान ए पाक ,,,,हमने अल्लाह से आस्था सोच समझ कर जोड़ी हे ,,अल्लाह से मुराद हम इंसानों जैसा कोई वजूद नहीं ,, अपितो वः सर्व शक्तिमान अस्तित्व हे जो यूनिक हे , जो सर्वत्र , निरपेक्ष और सर्वधार हे ,जो न पैदा होता हे और न ही मरता हे ,,जो न कसी से जना जाता हे और न कसी को जनता हे ,,और सारी बातों की एक बात कि ,,,, उस के जैसा कुछ भी नहीं ,, देखें ,,, (कुरान , सूरह इखलास )
आइये अब इस का जायजा लें कि आपने बिना सोचे समझे अपनी आस्था को कहाँ जोड़ लिया ,,,
सर्व्पर्थम हम आप की बात बड़ी करते हें,, और मानते हें कि राम का अस्तित्व हे ,(यों भी हमें कोई जिद नहीं हे राम को नकारने की ,यह बिंदु आपका पर्सनल हे , हम ने जो कुछ लिखा था ,,वः हमारी नहीं कुछ हिन्दू (क्रोनानिधि आदि) विद्द्वानों का मत था) ,,,
राम थे , ५ ,६ लाख वर्ष पहले अयोद्ध्या के राजा दशरथ के घर में श्रंग्गी ऋषि द्वारा पुत्रोष्टि yag करने पर ( जब दशरथं अपनी तीनों पत्नियों को गर्भवती करने में नाकाम रहे उक्त ऋषि दुवारा गर्भ धारण करके पैदा हुए थे , अर्थात वः दशरथ की पारम्परिक संतान नहीं थे, उनको उनके पिता ने अपनी एक पत्नी के कहने पर देश नीकला दे दिया था , कहते हें की उन्हों ने अपना प्रण पूरा किया था , ( यहाँ में आप को इस्लामी सिद्धांत बताता चलूं ,,वः यह की अगर कहीं पर किसी की हक तलफी हो रही हो तो एसा प्रण पूरा नहीं किया जाएगा ,, और गलत प्रण लेने का कफ्फारा (प्रायश्चित) अदा किया जाएगा ) खैर ,, राम बाप के आदेशानुसार जंगल को चले गए , वहाँ उन पर रावण की बहिन सूर्पनखा मोहित हो गयी , और उसने राम से शादी का प्रस्ताव रख दिया ,,राम ने कहा की मैं तो शादी शुदा हूँ , तुम मेरे छोटे भाई लक्ष्मण से पूछ लो उस की शादी नहीं हुयी हे , जब की राम के साथ ही सीता की बहिन से लक्ष्मण की भी शादी हो गयी थी ,, अर्थात एक ओर तो राम ने झूट बोला , दूसरी ओर लक्ष्मण को कहला भेजा कि जब सूर्पनखा तुम्हारे पास आए तो उस के नाक कान काटले ,, यह प्यार का कैसा बदला था , ? , आप लोग कहते हें कि हर किर्या की प्रति किर्या होती हे , जैसे गोधराकांड में हुयी थी,, तो वेसे ही राम की किर्या पर भी हुयी,, और जब रावण ने अपनी बहिन का यह हल देखा तो वःभिक्षु के भेस में आकर सीता को उठा ले गया , उस समय राम शिकार पर थे , यानि एक ओर जीव हत्या की मनाही,, दूसरी ओर राम भी शिकार करते थे , केवल राम ही नहीं राम के माने हुए पिता दशरथ ने तो हिरन सकझ्कर आज्ञाकारी शरवन को ही क़त्ल कर डाला था ,,
खैर सीताजी चोरी हो गयी तो राम का परेशान होजाना स्वभाविक था बेचारे परेशान हो गये और जंगल गंगल पेड़ पोदों से , आकाश और सितारों से और जंगल की हर्नियों से सीता का पता पूछते फिरे ,, आखिर कार उन्हें पता चल ही गया कि उनकी पत्नी को रावण दुष्ट उठा ले गया हे , तो अब सीता माता को छुडाने की फ़िक्र हुयी , सब से पहले उन्हों ने सुग्रीव से दोस्ती की और उसके भाई बाली का धोके से वध करके उक का राज्य और उसकी पत्नी सुग्रीव के हवाले कर दिया , और सुग्रीव के सेना पति हनुमान को साथ लेकर ( जो असल सुग्रीव के सेना पति थे और अपने स्वामी सुग्रीव की सुरक्षा करने में असमर्थ रहे थे )लंका पर चढाई करदी , और रावण को मार कर ( वः भी उसके भाई कुम्भकरण की गद्दारी से उसे राज काज देने का लालच देकर सीता जी को छुड़ा लाए ,, और उस बेचारी की अग्नि परीक्षा ली , इस के बावजूद एक धोबी के ताना देने पर उसे घर से निकाल दिया , और उसे गर्भवती होने के बजूद जंगल में छुडवा दिया , फिर लक्ष्मण जो पग पग पर भाई के सामने हाथ जोड़े खड़ा रहा उस के साथ क्या सलूक किया ,उसे आप जानते ही होंगे ,, आखिर कार सीता बेचारी तो जमीन से निकली थी उसी में समां गयी ,, श्री राम ने भी अपने तईं सजू नदी के हवाले करके अपनी जान देदी ,,
यह थे श्री राम जिन में छद्मनाम धारी जी आप की एसी ही आस्था हे जैसे करोड़ों मुसलमानों की उस ईश्वर , सर्वशक्तिमान अल्लाह में जो यूनिक हे ,जिसे किसी ने न तो जना हे ,और न वः किसी से जना गया हे ,, और उस के जैसा कुछ भी नहीं ,,
अंत में अनवर जमाल के उस सवाल का जवाब भी ज़रूरी हे जिस में उन हों ने कहा हे कि राम , और दशरत के पुत्र राम चन्द्र को गुड मुड़ न करें , मुझे बताइए कि यह अलग से केवल राम कहाँ से आ गया , ? ,, जिस राम की राम लीला मनाई जाती हे जो बाल्मीकि के द्वारा रामायण में वर्णित हे ,, क्या उस के आलावा भी कोई राम हे ? ,,अगर हे तो वः केवल आप कि घडी मढ़ी आस्था से नहीं होगा उस का हवाला दीजिये ,,यह तो ऐसी ही बात हुयी जैसे आज कल कुछ लोग शिर्डी वाले बाबा का मंदिर बना कर उन की मूर्ती को पूज रहे हें, अब अगर उन को कोई यह कहने लगे कि भाई ,,, शिर्डी वाले की मूर्ती को मत पूजो ,इस में कुछ नहीं ,, तो वः कहे कि ,, शिर्डी वाले पीर और उन की मूर्ती को गुड मुड मत करये,, शिर्डी वाले पीर एक व्यक्ति थे और उनकी मूर्ती ईश्वर हे ,, तो छद्मनाम धारी भाई,, इस फलसफे को तो बस आप सझेंऔर या फिर अनवर जमाल समझे ,, हम तो आप के लिए अल्लाह से दुआ करते हें कि वः आप को और हम सब को सीधी और सच्ची राह दिखाए

Wednesday, August 4, 2010

मेरे प्यारे अरविन्द मिश्रा

मेरे प्यारे अरविन्द मिश्रा
आप नास्तिक हें तो श्री राम में आस्था क्यों ? ,, दर असल आप जैसे लोगो की कहानी शुत्रमुर्ग की सी हे जिस से कहाजाए कि तुम पक्षी हो तो उड़ते क्यों नहीं तो वः कहता हे कि मैं पक्षी नहीं ऊँट हूँ ,, और जब उस से कहा जाए की तुम ऊँट हो तो बोझ उठाओ तो वः कहता हे कि मैं तो पक्षी हूँ ..

आइये अब इस पर विचार करे कि अल्लाह को पर्योगशाला में सिद्ध किया जा सकता हे या नहीं ,
मेरे प्यारे यह सारा ब्रह्मांड इश्वर की प्रयोगशाला हे , यह धरती यह आकाश और यह चाँद सितारे चीख चीख कर कह रहे हें कि यह सब स्वयं से नहीं ,, इस बोलते मानव का अपना वजूद खामोश जुबान से गवाही दे रहा हे कि कोई हे जो इस के पैदा होने से पहले माँ कि छाती में दूध उतार देता हे ,,, हजारों महान गेलक्सीज़ और उन के अथाह राज़ मजबूर करते हें कि इन के पीछे कोई सत्ता मानी जाए जो इस बर्हमांड को भली भांति चला रही हे ,,
आज इस शक्ति का वजूद तो हर कस व् न कस स्वीकार करता हे , ख्याल रहे कि अल्लाह/गोड़ कोई मानव जेसी वास्तु नहीं ,जो इंसानी शक्ल में ही आप के सामने आए तो आप मानेंगे वर्ना नहीं ,, वेसे आप मोत को तो मानते ही होंगे ,, और जहाँ इंसान बेबस और लाचार नज़र आए , अर्थात जैसे वः मोत के सामने बेबस हो जाता हे तो फिर उसे मान लेना चाहिए कि कोई हे , जो उस के ऊपर हे ,जो उसके जीवन व् म्रत्यु को कंट्रोल कर रहा हे ,, और अगर अब आप नहीं मानते तो उस समय ,अर्थात म्रत्यु के पश्चात् देख कर मानेंगें जब मानने से कोई लाभ नहीं होगा , कुरान में हे ,,
और लोगों को उस दिन से डराइये जब अज़ाब आएगा , उस समयं ज़ालिम
लोग (इंकार करनेवाले) कहेंगे .हे ईश्वर हमें थोड़ी मोहलत देदे ,अब की बार हम
तेरे पैगाम को स्वीकार करेंगे , और संदेष्ठा के बताए मार्ग पर चलेंगे
, ( १४/४४)

Tuesday, August 3, 2010

राम का अस्तित्व और राम जन्मभूमि

डाक्टर अयाज़ ने एक अहम् सवाल उठाया ,इस पर टिपण्णी भी खूब आइ परन्तु जवाब किसी ने नहीं दिया , वजह यह हे कि इसका जवाब हे ,नहीं , और जवाब इस लिए नहीं कि अभी तो यह भी तय नहीं हुआ कि राम पैदा भी हुए हैं या नहीं , यह सवाल डॉ0 अयाज़ के सवाल से भी गंभीर हे ,परन्तु इन सवालों को कोई इस लिए नहीं उठता कि किसी कि भावनाओं को ठेस न पहुंचे ,हम ने इस को उठाने कि हिम्मत तब कि जब स्वयं कुछ हिन्दू विद्वानों ने इस परकार के सवाल उठाने आरम्भ कर दिए ,जैसा कि मालूम होगा कि मुख्य मंत्री करूणानिधि ने कहा था कि राम का अस्तित्व एसा ही झूट हे जैसा हिमालय का सच , समुद्र सेतु के मसले पर स्वयं भारत सरकार ने शपत पत्र के द्वारा कहा था कि राम एक अफ्सान्वी किरदार हे और उस के होने का कोई एतिहासिक परमाण नहीं हे , फिर उस ने वह शपत पत्र जल्दी में वापस भी लेलिया,था . क्यों कि उस पर कट्टरपंथियों ने वाविला मचा दिया था , परन्तु इस से यह तो पता चल ही गया कि राम कितने एतिहासिक हें ,राम को महात्मां गाँधी भी एतिहासिक नहीं मानते थे और उन्हों ने अपने द्वारा निकाले जा रहे अख़बार ,हरिजन में राम को एक अफ्सान्वी किरदार लिखा था ,तफसील और हवाले के लिए आप मेरी किताब ,जिहाद या फसाद , का अध्यन कर सकते हें..
ऐसे मैं सवाल खड़ा होता हे कि जब राम ही नहीं हुए तो जन्म भूमि कैसी ? परन्तु कौन मानता हे और कौन सुनता हे , यहाँ तो जिसका डंडा उस की भेंस हे , लेकिन सच बहरहाल सच हे ,
खून आखिर खून हे टपकेगा तो जम जाएगा