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Thursday, December 15, 2011

मेरी आनलाइन किताबें
पुस्‍तक ''जिहाद या फसाद''यह इस्‍लाम का जवाब है डा. अनूप गौड द्वारा लिखित पुस्‍तक ''क्‍या हिन्‍दुत्‍व का सूर्य डूब जाएगा'' --को, जो जागृति प्रकाशन हरिद्वार, उत्‍तरांचल और ''विश्‍व संवाद केन्‍द्र'' लखनऊ के सहयोग से छपी थी का डा. मुहम्‍मदद असलम कासमी का जवाब है,

Saturday, March 5, 2011

हर्फ़ ए गलत

जिन बे शर्म बे हयाओं को इस्लाम और मुसलमानों से खुदा वास्ते का बैर हे उन में एक नाम हे हर्फ़ ए गलत , इस बेचारे को भी इस्लाम मुखालिफ मालिखोलिया है , कभी इसे कुरआन में खामी नज़र आती है कभी रसूल में और कभी खुद अल्लाh में ही कमी दिखाई देने लगती है ,इस अंधी भाई ने अपने बलाग कुरआन की एक आयत जिस में अल्लाह के कई नामों की बात है उस पर टिपण्णी करते हुए लिखा है की यह नाम अल्लाह ने नहीं रखे मुल्लाओं ने रखे हैं ,यह अँधा भाई कहता हे के अभी तो अल्लाह किसी को दिखा भी नहीं ,सच है अक़ल के अंधों को अल्लाह नहीं दीखता , अफ़सोस है ,उस इन्सान पर ,जो न अपनी मर्जी से पैदा होता न अपनी मर्जी से मरता है , उस के इसाथ इतनी बड़ी घटना घटे और उसे इस कार्य का करक दिखाई न दे इस से बड़ी मानव जीवन की विडंबना और क्या हो सकती हे , ओ खुदा का इंकार करने वाले खुद अपने वजूद को देख ले तू नहीं था किसी ने तुझे वजूद बख्शा , तेरे जीवन के लिए लाइफ सपोर्ट सिस्टम पैदा किया ,यह बर्हमांड इसकी विशालता ,इस की एक एक वसतु की सुन्दरता और सटीकता इस मैं पाई जाने वाली आर्गनाइजेशन इस बात का सबूत है कि कोई है जो यह सब कर रहा है , और उस का कोई उद्देश्य है जिस के लिए वह यह सब कर रहा है ,ओ खुदा के पैदा करदा बन्दे खुदा दिखता है ,उसे अक़ल की आँखों से देख वह तुझे भी ज़रूर दिखाई देगा . देख तुझे और हम सब को एक दिन मर जाना है ,और हम अपनी मर्ज़ी से नहीं मरते कोई ओर है जो हमें जब चाहता है उठा लेता है ,और वही खुदा है , जो भुद्धि की आँखों को दिखाई दे रहा है , देख तू भी देख मेरे साथ , परन्तु बन्दा बन कर देख खुदा बन कर नहीं ,,,,,वह केवल बन्दों को नज़र आता है खुदा बन्ने वालों को नहीं , जो सवयं खुदा बन्दे हैं उन को वह एक समय तक डील देता है , परन्तु एक समय एसा अवश्य आएगा ,जब स्यंभू खुदा बन्ने वालों को वह उठा लेगा ,उस समय वह उन्हें भी दिखाई देगा जिन्हें आज दिखाई नहीं दे रहा है ,,,,