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Friday, April 24, 2015


बस करो महा महिम

        यूपी के महामहिम राम नायक को राम की याद आइ है. उन्हो ने फरमाया है. कि इस देश का राजा कैसा हो ...श्री राम के जैसा हो....श्री नायक देश में ऐसा राजा देखना चाहते हैं जिस के राज मैं किसी शूद्र को ग्यान पराप्त करने या जप तप करने की भी अनुमति न हो जैसा रामायण मे वर्णित कथा के अनुसार श्री राम ने शंबूक नामी शूद्र का वध केवल इस लिये कर दिया था कि उसने शूद्र (नीच कुल मे उत्पन्न होने के बावजूद) जप तप करने और ग्यान पराप्त करने का साहस किया था ...हा. नायक जी चाहते हैं कि इस देश का राजा ऐसा हो कि उसके राज्य में अपनी बेगुनाही साबित करने के लिये मुल्जिम को नन्गे पैरों आग के दहकते अन्गारों पर चलना पडे. फिर भी यह राजा के ऊपर है कि वह मुल्जिम को बे गुनाह माने या न माने. और मुल्जिम को चाहे वह गृभवति महिला ही क्यों न हो शहर बदर कर दे ..जेसा श्री राम ने सीता के साथ किया था. हां ऐसा राज्य जिस मे अगर कोई महिला अगर किसी पुरुष को पसन्द करते हुए उस से शादी का परस्ताव रखे तो उसे पूरा इख्तीयार हो कि वह उस के नाक और कान कटवा डाले. हा ऐसा राज्य जिस में वचन की पूर्ती के लिये पुत्र को घर ले निकाला जा सके ...क्या कोइ बता सकता है कि आज के दोर मैं 'अगर मैने अपनी मां या बहिन या किसी और रिशते दार को कोई वचन दिया था और वह उसके अन्तरगत मैरे पुत्र को घर से निकलवाना चाहती है. और मेरे ऐसा करने पर मेरा पुत्र पुलिस या न्यायालय की शरण मे चला जाता है तो मेरे साथ क्या सलूक किया जाएगा .तो क्या नायक जी चाहते हैं कि ऐसा राज्य आ जाऐ जब राजा ऐसा हो जो पृस्थितियों का मुकाबला न कर ते हुऐ पृस्थिति और परेशानी आने पर अपनी पर्जा को बे यार व मददगार छोड कर खुद नहर मैं डूब मरे.क्या नायक जी इश देश मे उलटी नगरी चोपट राज चाहते है कि दीवार गिरने से पडोसी की बकरी मर गई ....और सूली पर चढा दिया एक गरीब महातमा को. शम्बूक को ऐसे ही तो मारा गया था. रामायण में आई कथा के अनुसार अल्पायु मे एक बृहमण पुत्र की मृत्यू हो गई .पंडितों ने बताया कि इस का कारण यह है कि राम राज्य मै एक अपराध हो रहा है और वह यह कि एक नीच कुल का शूद्र कहीं बैठा जप तप कर रहा है अत:राम ने स्वय जा कर उस का वध कर दिया. यह है वह राम जिन के जैसा इस देश में गवर्नर साहब राजा देखना चाहते हैं. यह आखिर कैसे लोग है इतने बडे पद पर बैठ कर भी बुद्धि से काम नही लेते.क्या इनहोने रामायण नहीं पढी''.ईशवर हमारे इन लीडरों को सद्बुद्धि दे. हम दुआ के सिवा और कर भी क्या सकते हैं.....खिरद का नाम जुनूं रख दिया. जुनूं का खिरद..