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Sunday, May 23, 2010

श्री बलबीर पुंज जी,

श्री बलबीर पुंज जी,
आपके लेख दैनिक जागरण के माध्यम से नज़र नवाज़ होते रहते हैं। मैंने अपनी एक पुस्तक में

ऐसे ही कुछ लेखों पर विस्तार से चर्चा की है। ऐसा ही आपका एक लेख ‘‘आतंक के प्रेरणा श्रोत’’ 11 मई 2010 को दैनिक जागरण में पढ़ा । आपके ज्ञान स्तर को जानकर अफसोस के साथ हंसी भी आई । चौथे कॉलम की इस पंक्ति का अवलोकन करें ..
‘‘किस मुस्लिम देश में एक गैर मुस्लिम को ‘

शासनाध्यक्ष बनाया गया?’’
आपके ज्ञान भण्डार में वृद्धि के लिए बता दूं कि

1. लम्बे समय तक इराक के प्रधानमंत्री रहने वाले तारिक़ अजी़ज गैर मुसलमान थे ।

2. कम से कम दो अवधियों के लिए तुर्की के राष्ट्रपति रहने वाले सुलेमान

ऐलदर भी गैर मुसलमान थे ।
3. अरब देश लेबनान में अगर प्रधानमंत्री मुसलमान हो तो राष्ट्रपति गैर मुसलमान होता है और राष्ट्रपति मुसलमान हो तो प्रधानमंत्री गैर मुसलमान होता है ।

4. इथोपिया में मुसलमान बहुसंख्यक हैं परन्तु वहॉं पर सरकार पूरे तौर पर गैर मुसलमानों होती है ।

आपका प्रश्न है -

अवलाकी ने किस कुरआन की विवेचना कर फैसल को बड़े पैमाने पर तबाही बचाने के लिए प्रेरित किया ?

मेरा प्रश्न है कि - ‘

शंकराचार्य, दयानन्द पाण्डे, साधवी प्रज्ञा, लेफ्टी नेन्ट कर्नल पुरोहित, और देवेन्द्र गुप्ता को मालीगांव के कब्रिस्तान, अजमेर की दरगाह और हैदराबाद की मक्का मस्जिद में बडे पैमाने पर तबाही मचाने के लिए किस धर्म पुस्तक ने प्रेरित किया ?
और ज़रा रूक कर ये भी सुने कि अभी तक जो जो मुसलमान आंतकी पकडे गये हैं वह सामान्य लोग थे । जबकि हिन्दु आंतकियों में बडे-बडे धर्म गुरू, साध्वी, ‘

शंकराचार्य, लैफ्टीनैन्ट कर्नल आदि ‘शामिल हैं । (ख्याल रहे कि दुनिया में दो ही किंगडम होते हैं एक धार्मिक किंगडम और दुसरा फौजी किंगडम) आपके तो दोनों की किंगडम आंतक में लिप्त हैं ।
एक दुसरा अंतर भी देखें, मुसलमानों ने आंतकियों पर कभी फूल नहीं बरसाये और न ही उनकी हिमायत की जबकि लैफ्टिनैन्ट कर्नल पुरोहित जब न्यायालय में पेश हुए तो कईं हिन्दू संगठनों ने उनका फूलों से स्वागत किया और ये नारे लगाये - आया आया भारत का ‘

शेर आया।
आपका प्रश्न है महमूद गजनबी, मौ

. गौरी, इब्राहिम लोदी ...... गाज़ी बनने के लिए किसने प्रेरित किया ?
मेरा प्रश्न है कि अशोक महान को रक्तपात करने, पृथ्वीराज को जयचन्द पर हमला करने और उसकी बेटी को भरे दरबार से उठा ले जाने के लिए किसने प्रेरित किया ?

आपने पूछा है, न्याय का घंटा बांधने वाले जहाँगीर ने अर्जूनदेव का वध क्यों किया ?

मैं पूछना चाहता हूं कि मराठा सरदार शिवाजी ने धोके से अपने घर बुलाकर अफज़ल खान का वध क्यों किया ? इसी में महात्मा गांधी का आर.एस.एस. के गौडसे ने वध क्यों किया ?

आपका प्रश्न हैः खिलजी ने ................ हिन्दू शिक्षण संस्थानों को ध्वस्त क्यों किया?

मेरा प्रश्न है आपकी सरकार के रहते, हिन्दू वादी ताक़तों ने मुसलमानों के धर्म स्थल बाबरी मस्जिद को ध्वस्त क्यों किया ?

यह भी नोट करें कि खिलजी अपने गुनाह की जवाबदेही के लिए मौजूद नहीं है जबकि बाबरी मस्जिद के मुलजिम स्वतन्त्र घूम रहे हैं।

आपका प्रश्न है - दो अलग-अलग जगहों में आतंकी तावड मचाने का प्रेरणा स्रोत आखिर

कौन है?
मेरा प्रश्न है कि जुआ खेलकर राजकाज के साथ पांच पांडवो की एक मात्र पत्नी द्रोपदी को भी जिता देना और जुवें में जिताए हुये को महाभारत अर्थात महायुद्ध बरपा करके दो करोड़ से अधिक इनसानों को मार देनें का प्रेरणा स्रोत आखिर कौन हैं ?

अगर आप कोई जवाब न दे सकें तो मैं बताता हूं इसका प्रेरणा स्रोत वह धर्म पुस्तक है जिस पर हिन्दूओं को इतना गर्व है कि हाईकोर्ट के एक माननीय न्यायधीश ने यह मशवरा तक दे दिया था के इसे राष्ट्रीय पुस्तक बनाया जाए । मेरी मुराद गीता से है जिसमें श्री कृष्ण अर्जून को युद्ध करने पर उभारते हुए कहते है कि युद्ध करना ही तुम्हारा धर्म है अगर युद्ध नहीं करोगे तो अधर्म हो जायेगा।

मेरा दूसरा प्रश्न है कि - आर्यो के द्वारा भारत पर आक्रमण कर यहाँ के मूल निवासियों पर अत्याचार करना और उनको दास और ‘

शूद्र बना देने का प्रेरणा स्रोत आखिर कौन है?
अगर आपको नहीं मालूम तो मैं बताता

हूँ।
वेदों के ये मंत्र देखें -

1. हमारे चारों ओर दस्यू जाति के लोग हैं वह यज्ञ नहीं करते कुछ मानते नहीं, वह अन्यवृत व अमानुष हैं । हे ‘

शत्रु हन्ता इन्द्र तुम इनका वध करो । (ऋगवेद 10-22-8)
2. इन्द्र तुम यज्ञाभिलाषी हो जो तुम्हारी निन्दा करता है उसका धन आहरत करके तुम प्रश्न होते हो, प्रचुरधन इन्द्र तुम हमें दोनों जांगों के बीच छुपा लो, और ‘

शत्रुओं को मार डालो । (ऋगवेद 8-59-10)
3. हे इन्द्र तो समस्त अनआर्यो को समाप्त कर दों । (ऋगवेद 1-5-113)

4. धर्मात्मा लोग अर्धमियों का नाश करने में सदा उधत रहते हैं । (अथर्व वेद 12-5-62)

5. उसकी दोनों आंखे छेद डालो, ह्रदय छेद डालो, आंखे फोड डालो, जीभ को काटो और दांतों का तोड डालो । (अथर्व वेद 5-29-4)

6. धर्मात्मा लोग धर्महित कार्यो से प्रिय व्यवहार करें । और दुष्टों को कष्ट देते रहें । (अथर्व वेद 12-3-49)

इस प्रकार के कई सौ मंत्र वेदों में हैं । मैं जानता हूँ कि आप इनका अर्थ बदलने का प्रयास करेंगे परन्तु आपके इस कथन के सन्दर्भ में --

‘‘ क्या उसामा बिन लादेन आदि को इस्लाम की सही जानकरी नहीं, और केवल सैकुलरिस्टों को ही सही ज्ञान है’’

मैं भी पूछना चाहता हूं कि दयानन्द पाण्डे और साध्वी प्रज्ञा, देवेन्द्र गुप्ता को हिन्दू धर्म की सही जानकारी नहीं और संघ प्रचारकों को ही सही ज्ञान है ।

प्रस्तुति

डा

. मुहम्‍मद असलम कासमी
मिल्लत उर्दू एकेडमी

मौहल्ला सोत, रुड़की

दिनांक 12-5-2010

3 comments:

  1. joe darm wakti wacak ho us daram o mannay walaly ki budhi hamaray ise wisaal vado kay arth ko samjnay kay kaabil nahi hoti mollna ji aap chahay jitna tark dijiay per nataji subhas chandra bosh ako hi bhart wers may rastra nayk maana jayga na ki gadder islamic nata jinna ko

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  2. very very very nice.
    i proid of you.

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