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Saturday, June 27, 2015

गूलर का पेट न फड़वाओ। ,

  वाट्सअप पर एक ऊट पटांग  मेसेज पराप्त हुआ ,मेसेज में मुसलमानों को रावण की बहिन शूर्पनखा  के वंशज कहा गया है ,यानी अंधे को अँधेरे में बहुत दूर की सूजी ,लिखा है कि शूर्पनखा नाक कान  कट जाने के कारण अपने चेहरे को ढांपे रहती थी इस लिए मुस्लिम औरते भी अपने चेहरे को ढांपे रहती हैं कैसी तथ्यहीन बात है ,मुस्लिम औरतें तो इस लिए पर्दा करती हैं क्यों कि पवित्र क़ुरआन में महिलाओं को आदेश है कि वे अपने शरीर के उन अंगों को छुपा कर रखें जिन्हें देख कर नौजवान मर्दों के दिलों में हैजान पैदा न हो ताकि ऐसी घटनाएँ न हो पाएं जैसी आज कल उन समाजों में देखने को मिल रही हैं जो पर्दे का विरोध करते हैं और नतीजे के तोर पर जवान लड़कियों को बलात्कारियों के रहम व करम पर छोड़ देते हैं जो महिलाएं पर्दा करती हैं नतीजा उन के सामने है की वह अपनी इज़्ज़त व आबरू को सुरक्षित रखने में कामयाब रहती हैं
      ,खैर बात हो रही थी एक ऊट पटांग मेसेज की ,तो आगे महान लेखक लिखते हैं की   शुक्राचार्य को शिव ने अपना लिंग  दिया जो उन्हों ने दूर रेगिस्तान में मक्का मदीना में  गाड़ा  ,इन्हे शर्म नहीं आती लिंग ,लिंग ,लिंग ,क्या बेहयाई की बातें हैं ,लिंग वह भी उस का जिस की पूजा करते हैं खुद बेशर्म हैं दूसरों को बेशर्म देखना चाहते हैं और ज्ञान इतना है कि यह भी नहीं मालूम कि मक्का और मदीना दो अलग अलग शहर है जिन में पांच सो किलो मीटर के क़रीब का फासला  है ,भला मक्का व् मदीना जैसी पाक जगह में जहाँ सतर अर्थात नाफ  से गुटनों तक शरीर का इंच भर हिस्सा भी खोला नहीं जासकता उस स्थान के संबंध लिंग लिंग लिंग जैसी बकवास ? क्या मायने  रखती है, यह तो तुम्हारे यहाँ है कि जितना नंगा उतना बड़ा महात्मा और लिंग जो नग्न्ता  का प्रतीक है उसकी तो पूजा होती है वह भी उस स्थिति में कि वह पार्वती की योनि में गड़ा हुआ है, अरे कमबख़्तो सभ्य समाज में यह काम बहुत छुप कर रात  के अँधेरे में होता है और तुम हो कि माँ बहिन और बाप,एक साथ  इस नग्न और गंदी अवस्था को पूजते हो ,और इसी गंदगी को पूजना है तो शोक से पूजो पर दूसरों को इस गंदगी में क्यों घसीटना चाहते हो, और भला कहाँ शुक्राचाय और कहाँ जुमे का दिन ,लिखा है कि मुस्लमान शुक्राचाय के वंशज हैं इस लिए जुमे के दिन को मानते हैं ,कैसी तथ्यहीन बात है ,और गज़ब यह  कि चोरी ऊपर से सीना जोरी ,लिखा है कि हर बात तथ्य पर आधारित है और तथ्य कोई दिया नहीं ,तो क्या ,तथ्यों पर आधारित है ,कहदेने भर से बात तथ्य पर आधारित हो जाती है ?, अरे जनाब तुम ने जिस रामायण से बात शुरू की है क्या वह तथ्यों पर आधारित है? क्या उस का समय काल बता सकते हो ,?सीता ज़मीन से निकली थी क्या तुम्हारे पास इसका तथ्य है? रावण हिरन बन कर चर ने लगा था क्या इसका तथ्य है रावण सीता को हवाई मार्ग से ले गया था क्या इसका तथ्य है ,? करते है बात तथ्यों की ?राजा दशरत ने तीन शदया कीं ,लेकिन किसी पत्नी से भी बच्चा पैदा न कर सके तो पुत्रोत्पत्ति यग किया जिसमे श्रंगी ऋषि को बुलाया गया जिस ने एक ही रात में तीनों रानियों को गर्भवती बना दिया ,इस के बारे में क्या ख्याल है गोया ऋषि न हुआ कोई सांड हुआ ?और जिस शिव लिंग  की बात करते हो शिव पुराण पढ़ कर तो देखो, शिव तो हर समय लिंग पकडे योनि ही के चक्कर में पड़ा रहता था, शिव पुराण के अनुसार उस ने  अपनी लड़की तक न छोड़ी ,
       कहते हो कि ,शूर्पणखा ,शुक्राचाय और रावण आसुर हैं और हम मुस्लमान उन के वंशज हैं,तुम्हें शर्म आनी चाहिए आसुर तुम्हारे देवताओं से अच्छे थे ,देखते नहीं , रावण की  बहिन ने प्यार प्रकट किया तो राम जी ने प्यार का बदला  उसके नाक कान कटवाकर दिया और जब उसका भाई रावण गुस्से में राम की सीता को उठा कर ले गया तो उस ने नैतिकता का परिचय देते हुए सीता को छुआ तक नहीं ,तो पूजा के लायक कोन होआ राम या रावण ?अरे अकल के अंधों कुछ तो बुद्धि से काम लो,और अगर तुम्हे इसी जहालत में पड़े रहना है तो पड़े रहो हम भमे मानसों को क्यों छेड़ ते हो ,?बेहतर हो कि तुम अपने काम से काम रखो और हमें छेड़ कर हम से गूलर का पेट न फड़वाओ।  ,