प्रथ्वी पर इस्लाम का समय अब पूरा हो चूका ,,
इस शीर्षक का एक लेख ,,हमारी वाणी ,,और ,,चिटठा जगत,,पर घंटों स्थिर रहा, दूसरी ओर मै ने ,,महिला स्वतंत्रता का फरेब,, के नाम से एक लेख अपने ब्लोग पर पर्काशित किया ,जिस पर किसी बेनाम ने टिपण्णी करते हुए इस्लाम धर्म और उसके पर्वर्तक को गालियाँ देते हुए मुझे बाबर और औरंगजेब की औलाद की उपाधि पर्दान की ,और मुझे और इस्लाम धर्म को जी भर कर कौसा ,
इन दौनों घटनाओं पर ग़ौर करने से पता चलता हे कि इस्लाम और मुसलमानों के सम्बन्ध से ,,बिरादरान ऐ वतन,, किस पारकर की सोच रखते हैं,
जिन साहब को प्रथ्वी पर इस्लाम का समयं पूरा होता नज़र आ रहा है ,उन्हों ने अपने दावे पर कोई दलील परस्तुत न करते हुए कुछ अलग तरह कि बातें कि हैं ,मसलन वह लिखते हैं ,कि ,यह सही हे कि हर मुस्लमान आतंकवादी नहीं परन्तु यह भी सच है कि अस्सी पर्तिशत आतंकवादी मुस्लमान हैं ,मुझे यह पढ़ कर ख़ुशी हुयी ,कि कम से कम बीस पर्तिशत अपना बोझ हल्का हो गया, जो आपने अपने कन्धों पर ले लिया हे ,और बड़ी बात यह कि स्वीकार भी कर लिया,और लोगों को बता भी दिया, वर्ना हम तो भारी मन से आज तक यही सुनते आ रहे थे ,कि यह माना कि हर मुस्लमान आतंकवादी नहीं परन्तु हर आतंवादी मुस्लमान हे ,
दूसरी बात ,,,जिन साहब ने मेरे ब्लोग पर मुझ को गालीयों से नवाज़ा हे मैं उन के हक मैं हिदायत की दुआ करते हुए उन कि नज़र यह शेर करता हूँ ,,,,,,,,
कितने शीरीं हैं तेरे लब ,कि , रकीब ,
गलियां खा के भी बे मज़ा न हुआ ,
Wednesday, June 30, 2010
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khoob kahi
ReplyDeleteachchhi rahi
ReplyDeletekahta rahun ?
ReplyDeleteडाक्टर असलम कासमी जी आप का सब्र देख कर बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteआप का जवाब भी जबरदस्त है !
ya, ya,, ya,, kate raho ,,kahte raho ,,, kahte raho ,,
ReplyDeleteयह खाली लोग हैं ,इन्हें धर्म के सिवा कुछ नहीं सूझता ,,
ReplyDeleteBharat Bhaarti जी ये जोकर की पिक्चर आप ने क्यों लगा रख्खी है कोई खास वजह
ReplyDeleteapun sarkas men rahta hun ,jokar ka kary karta hun, yh cap sarkaswalon ne udha rakkha he ,
ReplyDeleteaap log aapas main bat karke is aadmi ke comment kyo badha rahe ho
ReplyDeleteबाकी झंझटों में हम नहीं पडते लेकिन आपने इस पोस्ट का अन्त ऐसे शेर से किया कि वाह वाह करने को जी कर आया.
ReplyDeleteआभार,
neeraj ji aap matlab ham jhanjhat main pad rahe hai
ReplyDeleteare tafri baz bhai ham to is aadmi ke commant badha rahe hen aor aap ?,,,
ReplyDeleteAre yar sahi bat hai chalo yar meri post par aa jao
ReplyDeleteSAHI JAWAB DIYA...
ReplyDeleteमौलाना आपने बिल्कुल ठीक जवाब दिया पर इस्लाम पर आक्षेप करने वाले ये लोग जल्द ही ईमान ले आएंगें
ReplyDeletehahahahahahahah..mulle ko mirchi lagi.. abe schchai ko sweekar karo aur is islam naam ke giroh se bahar aao jiska sirf ek uddyeshya hai jo hai atankwad.. www.faithfreedom.org par jao..
ReplyDeleteAslam Qasmi sahab ek achcha comment.
ReplyDeleteकौशल्या आदि मां कैसे बनीं? दशरथ से? यज्ञ से? नहीं; दशरथ ने होता, अवयवु और युवध नामक तीन पुरोहितों से ''अपनी तीनों रानियों से सम्भोग करने की प्रार्थना की।'' पुरोहितों ने ''अपने अभिलषित समय तक उनके साथ यथेच्छ सम्भोग करके उन्हें राजा दशरथ को वापस कर दी।'' (पृ. 11) ऐसे वर्णन न तथ्यपूर्ण कहे जायेंगे, न अस्मितामूलक, बल्कि कुत्सापूर्ण कहे जाऐंगे। ब्राह्मणवादी मनुवादी व्यवस्था में दलितों के साथ स्त्रिायां भी उत्पीड़ित हुई हैं। कौशल्या आदि को उनका वृद्ध नपुंसक पति अगर पुरोहितों को समर्पित करता है और पुरोहित उन रानियों से यथेच्छ सम्भोग करते हैं तो इससे स्त्राी की परवशता ही साबित होती है। दलित स्त्राीवाद ने जिसे ढांचे का विकास किया है, वह पेरियार की इस दृष्टि से बहुत अलग है। पेरियार का नजरिया उनके उपशीर्षकों से भी समझ में आता है, ÷दशरथ का कमीनापन' (पृ. 33), ÷सीता की मूर्खता', (पृ. 35), ÷रावण की महानता' (पृ. 38), इत्यादि।
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