किसी भाई के ब्लाग पर एक महाशय ने इस्लाम धर्म पर टिप्पणी करते हुए उसके पर्वर्तक हजरत मुहम्मद साहब सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम के वतन के हवाले से इस्लामी कवानीन का मजाक उड़ाया है,उन के शब्दों में यह अरेबियन सोच हे और उजाड़ ,रेगिस्तानी ,बंजर ,और रेतीली सोच हे ,,,,, अरेबियन सोच ,उजाड़ ,बंजर ,रेतीली सोच ,इन उपाधियों का शुक्रिया ,,,,?,,,,,मगर मेरे भाई में यह भी बतादुं कि यह वही रेगिस्तानी सोच थी जिस ने सब से पहले दुनिया को यह पैगाम दिया कि सारे इनसान बराबर हैं ,न कोई स्वर्ण हे न कोई शूद्र ,जिसे आज न केवल भारत अपितु सारी दुनिया मानती हे , वरना , भारतवर्ष को तो आप जैसी सोच के लोगों ने चार खानों में बाट कर तबाह रख दिया था , और हाँ यह उसी रेगिस्तानी की सोच थी कि मां के पेट में लड़का हो या लड़की , उसे दुनिया में आने का पूरा पूरा हक हे ,जो उसका यह हक उस से छीने वह अपराघी हे , आज आप भी इसे ही मानते हें ,आखिर क्यों आपने उस रेगिस्तानी की बात मानी,, ? ,,,और उस बंजर रेतीले अरेबियन क्षेत्र के निवासी की सोच के कुर्बान जाइये ,कि उस ने सारे संसार में सब से पहले महिला अधिकारों की आवाज़ उठाई और कहा कि बाप की जायदाद में बेटे की भाँती बेटी भी हिस्सेदार है ,आज आप के देश के नेताओं ने संविधान में संशोधन करके इस रेगिस्तानी सोच को क्यों अपना लिया ,,?,, और उस रेगिस्तानी ने ही हमें इस बात का पाबंद किया कि अगर किसी महिला का पति मर जाये तो तुम्हें कोई हक नहीं कि तुम उस महिला को भी मार डालो ,,हम ने यह उसी से सीखा हे ,,क्यों कि सब से पहले उसी ने इस सम्बन्ध में आवाज़ उठाई थी वर्ना हम तो इस से पहले विधवा पत्नी को उस के पति की चिता के साथ ही जिंदा जला दिया करते थे ,,आज भारत में भी इसी कानून को फालो किया जाता हे ,यह तो रेगिस्तानी सोच थी आप इसे छोड़ क्यों नहीं देते ,? ,,
इन सब बातों को सामने रखये और सोचिये कि सच्चाई सच्चाई होती हे वह अरेबियन या भारतीय में नहीं बाटी जासकती ,इस लिए बुद्धिमान वह हे जो जितनी जल्दी हो सके सच्चाई को स्वीकार करले ,अगर आप सच्चाई को क्षेत्रों में बांटेंगें तो में पूछूंगा कि अणु ,परमाणु की थ्योरी तो यूरोपियन हे फिर आप को उसे भी न मानना चाहिए ,,? ,, इन्फार्मेशन टेक्नोलोजी भी बाहर से आई हे इसे भी छोड़ देना चाहिए ,,,?,,,,इस लिए मेरे भाई अक़ल से काम लें ,और क्षेत्रों में न बट कर सच्चाई को स्वीकार करें और मान लें कि उस ,बंजर रेगिस्तान के रहने वालेने जो कुछ भी कहा है उस का एक एक शब्द सही है ,,
अच्छी पोस्ट
ReplyDeleteआपने सही लिखा औरतों को अधिकार इस्लाम ने ही दिए
ReplyDeleteयह जो शाला अपना संस्क्रती का बात कोरता हे न,,और किसी को रेगिश्तानी बताता हे और किसी को जोंगली बोलता है इन का अपना संस्क्रती यह हे की यह एक पशु का मूत्र पीता है और उशे शुद्ध बोलता हे ,अबे शाला अपना मूत्र क्यों नहीं पीता ,अबे तू जिस को बंजर और रेतीला बोला ,वः मूत्र को गोंन्दा बोलता हे ,,और मूत्र गोंन्दा है ,विश्वास न हो तो अपना धोती सूंग कर देखो ,,,
ReplyDeleteभरत भारती तू साला भारतीय नही हो सकता
ReplyDeletesahi kaha bharabhaarti ne
ReplyDeleteaor anonymous bete to bhaarti nahi ho sakta pehchaan chhupata he beta
ReplyDeletefaltu ki bat mat kar
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ReplyDeleteउस ,बंजर रेगिस्तान के रहने वालेने जो कुछ भी कहा है उस का एक एक शब्द सही है ,,
ReplyDeletebharat bhaarti ये चुटिया है क्या
ReplyDeletePart 1of 4
ReplyDeleteबहुत दिनों से एक विचार मेरे मन की गहराइयों में हिलोरे खा रहा था लेकिन उसे मूर्त रूप प्रदान करने के लिए आप सबका सहयोग चाहिए इसलिए उसे आप सबके समक्ष रखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था की पता नहीं कहीं वो असफल और अस्वीकार ना हो जाए लेकिन तभी ये विचार भी आया की बिना बताये तो स्वीकार होने से रहा इसलिए बताना ही सही होगा .
दरअसल जब भी मैं इस देश की गलत व्यवस्था के बारे में कोई भी लेख पढता हूँ, स्वयं लिखता हूँ अथवा किसी से भी चर्चा होती है तो एक अफ़सोस मन में होता है बार-2 की सिर्फ इसके विरुद्ध बोल देने से या लिख देने से क्या ये गलत व्यवस्थाएं हट जायेंगी , अगर ऐसा होना होता तो कब का हो चुका होता , हम में से हर कोई वर्तमान भ्रष्ट system से दुखी है लेकिन कोई भी इससे बेहतर सिस्टम मतलब की इसका बेहतर विकल्प नहीं सुझाता ,बस आलोचना आलोचना और आलोचना और हमारा काम ख़त्म , फिर किया क्या जाए ,क्या राजनीति ज्वाइन कर ली जाए इसे ठीक करने के लिए ,इस पर आप में से ज़्यादातर का reaction होगा राजनीति !!! ना बाबा ना !(वैसे ही प्रकाश झा की फिल्म राजनीति ने जान का डर पैदा कर दिया है राजनीति में कदम रखने वालों के लिए ) वो तो बहुत बुरी जगहं है और बुरे लोगों के लिए ही बनी है , उसमें जाकर तो अच्छे लोग भी बुरे बन जाते हैं आदि आदि ,इस पर मेरा reaction कुछ और है आपको बाद में बताऊंगा लेकिन फिलहाल तो मैं आपको ऐसा कुछ भी करने को नहीं कह रहा हूँ जिसे की आप अपनी पारिवारिक या फिर अन्य किसी मजबूरी की वजह से ना कर पाएं, मैं सिर्फ अब केवल आलोचना करने की ब्लॉग्गिंग करने से एक step और आगे जाने की बात कर रहा हूँ आप सबसे
हमारे इस common blog में प्रत्येक प्रस्ताव एक हफ्ते के अंदर अंदर पास किया जायेगा , Monday को मैं या आप में से इच्छुक व्यक्ति अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में डाले ,Thursday तक उसके Plus और Minus points पर debate होगी, Friday को वोटिंग होगी और फिर Satuday को votes की गणना और प्रस्ताव को पास या फिर reject किया जाएगा वोटिंग के जरिये आये हुए नतीजों से
ReplyDeleteआप सब गणमान्य ब्लोग्गेर्स को अगर लगता है की ऐसे कई और ब्लोग्गेर्स हैं जिनके बौधिक कौशल और तर्कों की हमारे common ब्लॉग को बहुत आवश्यकता पड़ेगी तो मुझे उनका नाम और उनका ब्लॉग adress भी अवश्य मेल करें ,मैं इस प्रस्ताव को उनके पास भी अवश्य भेजूंगा .
तो इसलिए आप सबसे एक बार फिर निवेदन है इसमें सहयोग करने के लिए ताकि आलोचना से आगे भी कुछ किया जा सके जो की हम सबको और ज्यादा आत्मिक शान्ति प्रदान करे
इन्ही शब्दों के साथ विदा लेता हूँ
जय हिंद
महक
"खिसयानी बिल्ली खम्बा नोचे" यह एक प्रसिद्ध कहावत है | जब किसी के पास कहने को कुछ बचता नहीं तो वह अपशब्द और ग़ैर-मयारी
ReplyDeleteशब्दों का उपयोग शुरू कर देता है | एसे लोग सहानुभूति के योग्य होते हैं |
एक मशहूर वाकिया बयान करता हूँ ---- हुजुर मुहम्मद मुस्तफा (सल्लल्लाहो अलैहोसल्लम ) जिस रास्ते से गुज़रते थे एक घर की खिड़की से
एक बूढी ग़ैर मुस्लिम औरत आप पर कचरा फेकती थी | यह सिलसिला चलता रहा | एक दिन उस बुधिया ने कचरा नहीं फेका | आपको फ़िक्र
हुई और आपने लोगों से पूछा के यहाँ एक बूढी औरत होती है कहीं गयी हुई है क्या ? लोगों ने बताया वह बीमार है | "आप" ऊपर पहुंचे और उसकी
खैरियत मालूम की और फ़रमाया की आपने आज कचरा नहीं फेका पता चला आपकी तबियत ख़राब है , इस लिए आपकी तीमारदारी के लिए हाज़िर
हुआ हूँ | उस बूढी औरत ने आपका हुस्न-ए-सुलूक देखा और रोते हुए माफ़ी मांगी और इस्लाम कुबूल कर लिया |
तो मेरे भाई इस्लाम मुहब्बत का नाम है , भाई चारे का नाम है | एक मुसलमान किसी के धर्म की बुराई नहीं करता ,सब धर्म का आदर करता है और
सब लोगों को निमंत्रण देता है कि पहले इसे समझो फिर टिप्पणी करो | मैं इस माध्यम से दुनिया के तमाम इंसानों को नेवता देता हूँ कि आईये और
इसे समझिये |
डॉ. शरीफ
अमेरिका
wah kia kia bola
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