तलाक लेना होगा आसान
११\५\२०१० के अमर उजाला के पहले प्रष्टपर पर यह समाचार छपा हे ,बतायागाया हे कि हिन्दू कोड बिल में संशोधन को सरकार ने हरी झंडी देदी हे ,इस संशोधन के बाद ऐसी स्थिति में जब पति पत्नी का जीवन बोझ बन जाये तो तलाक ली और दी जा सकती हे ,इस समाचार में वरिष्ट अधिवक्ता के,टी,एस,तुलसी के हवाले से लिखा हे कि ,,, जो रिश्ता सुधर नहें सकता ,उसे कानून कि बंदिश कि वजह से ढ़ोया जाना उचित नहीं हे , हम इसकी तुलना इस्लामी कानून से करना चाहेंगें ,आज तक तलाक को लेकर इस्लाम धर्म पर इलज़ाम लगता रहा हे और हिन्दू धर्म की इस व्यवस्था को सराहा जाता रहा हे कि हिन्दू धर्म में विवाह सात जन्मों का बंधन होता हे ,हिन्दू धर्म की व्यवस्था पर हमें कोई टिपण्णी नहीं करनी हे ,अपितु उक्त कानून और इस्लाम के तलाक के कानून के हवाले से बात करनी हे ,स्र्व्पर्थम उचित होगा कि हम यह स्वीकार करें कि मुसलमानों ने तलाक के कानून का दुरपयोग कर के स्वयं अपने सर इलज़ाम मढ़ा हे वरना इस्लामी कानून उस के सिवा कुछ नहीं जो हिन्दू कानूनविद अब स्वीकार कर रहे हें , क्यों कि इस्लाम में भी तलाक की अनुमति उसी समय हे जब दोनों का जीवन एकदूसरे पर बोझ बन जाए ,कुरान में सूरः निसा ,और सूरः बकर में इस की तफसील मोजूद हे ,सूरः निसा की आयत ३५ देखें,,,,,,और यदि तुम्हे पति पत्नी के बीच बिगाड का भ्य हो, तो एक फेसला करने वाला पुरुष के लोगों से और एक फेसला करने वाला पत्नी के लोगों में से नियुक्त करो ,, ( यह दोनों पति पत्नी में सुलह सफाई कराने का परयास करेंगे ) फिर अगर इन दोनों में समझोता न होपाए और स्थिति इस हद तक बिगड़ जाए कि दोनों का जीवन एक दुसरे पर बोझ होजाए ,,और भ्य उत्पन्न होजाए कि दोनों के बीच कोई घटना हो सकती हे ,,, तो इन दोनों में जुदाई कराने की अनुमति हे ,,परन्तु वह भी तीन मरहलों में ,,और यह तीन मरहले भी तीन माह से अधिक अवधि के ,,,विस्तार से कुरान में देखा जा सकता हे ,,,कुआन में हे ,,,, यदि तुम को यह डर हो कि यह दोनों (पति \ पत्नी )अल्लाह की सीमाओं पर कायम न रह सकेगें तो स्त्री जो कुछ देकर छुटकारा प्राप्त करना चाहे तो इसमें कोई गुनाह नहीं (सूरः बकर आयत २२९)
acchato islam men aisa he ,,,?
ReplyDeleteतलाक मुहम्मद (स) की नज़र मैं सबसे ना पसाद अमल है.
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