छद्म नाम धारी सय्यद हुसैन जी
आज दो दिन बाद कम्प्युटर खोला तो आप की गाल्यों का तोहफा नज़र नवाज़ हुआ , आप गलियां दीजिये और जी भर कर दीजिये , मैं भी आप के हक मैं हिदायत की दुआ करने से थका नहीं हूँ ,
दूसरी बात जो बड़े तम तराक से आप ने कही हे , की अरविन्द मिश्रा आदि के सवाल सुन कर माँ क्यों मर गयी , तो मेरे प्यारे उस की वजह यह थी कि ,,,,,, गम और भी हें ज़माने में मुहब्बत के सिवा ,,,मैं दो दिन के लिये दिल्ली चला गया था ,,जहा ५ अगस्त को इंडिया इंटरनेश्नल कल्चरल सेंटर में होने वाली एक कांफ्रेंस में मुझे सम्मलित होना था , वापस हुआ तो आप की गलियों के पत्थर नज़र आये और साथ में उक्त चेलेंज भी,,,,,
प्यारे छद्म नाम धारी ,,,,
यह कोन बड़ी बात अरविन्द भाई ने कहदी ,,मैंने अल्लाह के अस्तित्व पर कुछ बोद्धिक तर्क दिए थे ,, जब कि उन्हों ने बिना तर्क दिए ही ,,, प्रश्न कर डाला कि ,,, अब बोलो , राम हे कि नहीं ,, उन्हों ने कहा हे कि जैसे करोंड़ों मुसलमानों के लिए अल्लाह मियां हे वैसे ही ,,,,करोंड़ों के लिए राम हे ,, यह आस्था की बात हे ,, क्या यह कोई तर्क हुआ,,, ?,,, क्या बुद्धि धारी प्राणी ,हज़रत ए इन्सान इश्वर और अपने पालनहार के सम्बन्ध में इतना गैर जिम्मे दार हे कि बिना सोचे समझे , और यह देखे बिना ही कि जिस वस्तु से मैं आस्था जोड़ रहा हूँ ,,उस का अस्तित्व भी हे कि नहीं , ? ,, ऐसे ही कहीं भी अपनी आस्था को कुर्बान कर देता हे ,,, ?,,
अरविन्द जी कहते हें कि जेसे अल्लाह हे वेसे राम हे ,, यानि,,,, चे निस्बते खाक ब आसमान ए पाक ,,,,हमने अल्लाह से आस्था सोच समझ कर जोड़ी हे ,,अल्लाह से मुराद हम इंसानों जैसा कोई वजूद नहीं ,, अपितो वः सर्व शक्तिमान अस्तित्व हे जो यूनिक हे , जो सर्वत्र , निरपेक्ष और सर्वधार हे ,जो न पैदा होता हे और न ही मरता हे ,,जो न कसी से जना जाता हे और न कसी को जनता हे ,,और सारी बातों की एक बात कि ,,,, उस के जैसा कुछ भी नहीं ,, देखें ,,, (कुरान , सूरह इखलास )
आइये अब इस का जायजा लें कि आपने बिना सोचे समझे अपनी आस्था को कहाँ जोड़ लिया ,,,
सर्व्पर्थम हम आप की बात बड़ी करते हें,, और मानते हें कि राम का अस्तित्व हे ,(यों भी हमें कोई जिद नहीं हे राम को नकारने की ,यह बिंदु आपका पर्सनल हे , हम ने जो कुछ लिखा था ,,वः हमारी नहीं कुछ हिन्दू (क्रोनानिधि आदि) विद्द्वानों का मत था) ,,,
राम थे , ५ ,६ लाख वर्ष पहले अयोद्ध्या के राजा दशरथ के घर में श्रंग्गी ऋषि द्वारा पुत्रोष्टि yag करने पर ( जब दशरथं अपनी तीनों पत्नियों को गर्भवती करने में नाकाम रहे उक्त ऋषि दुवारा गर्भ धारण करके पैदा हुए थे , अर्थात वः दशरथ की पारम्परिक संतान नहीं थे, उनको उनके पिता ने अपनी एक पत्नी के कहने पर देश नीकला दे दिया था , कहते हें की उन्हों ने अपना प्रण पूरा किया था , ( यहाँ में आप को इस्लामी सिद्धांत बताता चलूं ,,वः यह की अगर कहीं पर किसी की हक तलफी हो रही हो तो एसा प्रण पूरा नहीं किया जाएगा ,, और गलत प्रण लेने का कफ्फारा (प्रायश्चित) अदा किया जाएगा ) खैर ,, राम बाप के आदेशानुसार जंगल को चले गए , वहाँ उन पर रावण की बहिन सूर्पनखा मोहित हो गयी , और उसने राम से शादी का प्रस्ताव रख दिया ,,राम ने कहा की मैं तो शादी शुदा हूँ , तुम मेरे छोटे भाई लक्ष्मण से पूछ लो उस की शादी नहीं हुयी हे , जब की राम के साथ ही सीता की बहिन से लक्ष्मण की भी शादी हो गयी थी ,, अर्थात एक ओर तो राम ने झूट बोला , दूसरी ओर लक्ष्मण को कहला भेजा कि जब सूर्पनखा तुम्हारे पास आए तो उस के नाक कान काटले ,, यह प्यार का कैसा बदला था , ? , आप लोग कहते हें कि हर किर्या की प्रति किर्या होती हे , जैसे गोधराकांड में हुयी थी,, तो वेसे ही राम की किर्या पर भी हुयी,, और जब रावण ने अपनी बहिन का यह हल देखा तो वःभिक्षु के भेस में आकर सीता को उठा ले गया , उस समय राम शिकार पर थे , यानि एक ओर जीव हत्या की मनाही,, दूसरी ओर राम भी शिकार करते थे , केवल राम ही नहीं राम के माने हुए पिता दशरथ ने तो हिरन सकझ्कर आज्ञाकारी शरवन को ही क़त्ल कर डाला था ,,
खैर सीताजी चोरी हो गयी तो राम का परेशान होजाना स्वभाविक था बेचारे परेशान हो गये और जंगल गंगल पेड़ पोदों से , आकाश और सितारों से और जंगल की हर्नियों से सीता का पता पूछते फिरे ,, आखिर कार उन्हें पता चल ही गया कि उनकी पत्नी को रावण दुष्ट उठा ले गया हे , तो अब सीता माता को छुडाने की फ़िक्र हुयी , सब से पहले उन्हों ने सुग्रीव से दोस्ती की और उसके भाई बाली का धोके से वध करके उक का राज्य और उसकी पत्नी सुग्रीव के हवाले कर दिया , और सुग्रीव के सेना पति हनुमान को साथ लेकर ( जो असल सुग्रीव के सेना पति थे और अपने स्वामी सुग्रीव की सुरक्षा करने में असमर्थ रहे थे )लंका पर चढाई करदी , और रावण को मार कर ( वः भी उसके भाई कुम्भकरण की गद्दारी से उसे राज काज देने का लालच देकर सीता जी को छुड़ा लाए ,, और उस बेचारी की अग्नि परीक्षा ली , इस के बावजूद एक धोबी के ताना देने पर उसे घर से निकाल दिया , और उसे गर्भवती होने के बजूद जंगल में छुडवा दिया , फिर लक्ष्मण जो पग पग पर भाई के सामने हाथ जोड़े खड़ा रहा उस के साथ क्या सलूक किया ,उसे आप जानते ही होंगे ,, आखिर कार सीता बेचारी तो जमीन से निकली थी उसी में समां गयी ,, श्री राम ने भी अपने तईं सजू नदी के हवाले करके अपनी जान देदी ,,
यह थे श्री राम जिन में छद्मनाम धारी जी आप की एसी ही आस्था हे जैसे करोड़ों मुसलमानों की उस ईश्वर , सर्वशक्तिमान अल्लाह में जो यूनिक हे ,जिसे किसी ने न तो जना हे ,और न वः किसी से जना गया हे ,, और उस के जैसा कुछ भी नहीं ,,
अंत में अनवर जमाल के उस सवाल का जवाब भी ज़रूरी हे जिस में उन हों ने कहा हे कि राम , और दशरत के पुत्र राम चन्द्र को गुड मुड़ न करें , मुझे बताइए कि यह अलग से केवल राम कहाँ से आ गया , ? ,, जिस राम की राम लीला मनाई जाती हे जो बाल्मीकि के द्वारा रामायण में वर्णित हे ,, क्या उस के आलावा भी कोई राम हे ? ,,अगर हे तो वः केवल आप कि घडी मढ़ी आस्था से नहीं होगा उस का हवाला दीजिये ,,यह तो ऐसी ही बात हुयी जैसे आज कल कुछ लोग शिर्डी वाले बाबा का मंदिर बना कर उन की मूर्ती को पूज रहे हें, अब अगर उन को कोई यह कहने लगे कि भाई ,,, शिर्डी वाले की मूर्ती को मत पूजो ,इस में कुछ नहीं ,, तो वः कहे कि ,, शिर्डी वाले पीर और उन की मूर्ती को गुड मुड मत करये,, शिर्डी वाले पीर एक व्यक्ति थे और उनकी मूर्ती ईश्वर हे ,, तो छद्मनाम धारी भाई,, इस फलसफे को तो बस आप सझेंऔर या फिर अनवर जमाल समझे ,, हम तो आप के लिए अल्लाह से दुआ करते हें कि वः आप को और हम सब को सीधी और सच्ची राह दिखाए
Friday, August 6, 2010
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जब कोई मुसलमान बिददत करता है तब मुसलमानो की भी आँखे बंद हो जाती है ना कलम उठती है ना आवाज़ निकलती है हर बिददत मुहम्मद रसूललुल्लाह सललहोअलेहवसलम की तौहीन है जो ये वादा ले कर गये कि मैने पूरा दीन तुम तक पहुँचा दिया,
ReplyDelete1--मौसी के साथ कुकर्म
Deleteमुहम्मद साहब की हवस की शिकार होने वाली पहली औरत का नाम " खौला बिन्त हकीम अल सलमिया - خولة بنت حكيم السلمية " था . और उसके पति का नाम "उसमान बिन मजऊम - عثمان بن مظعون " था . खौला मुहम्मद साहब की माँ की बहिन यानि उनकी सगी मौसी ( maternal aunt ) थी . इसको मुहम्मद साहब ने अपना सहाबी बना दिया था . मदीना की हिजरत में मुहम्मद आयशा के साथ खौला को भी ले गए थे .यह घटना उसी समय की है इस औरत ने अय्याशी के लिए खुद को मुहम्मद के हवाले कर दिया था .यह बात मुसनद अहमद में इस प्रकार दी गयी है .
"खौला बिन्त हकीम ने रसूल से पूछा कि जिस औरत को सपने में ही स्खलन होने की बीमारी हो , तो वह औरत क्या करे , रसूल ने कहा उसे मेरे पास लेटना चाहिए "
"Khaula Bint Hakim al-Salmiya,asked the prophet about the woman having a wet dream, he said she should lay with me "
محمد بن جعفر قال حدثنا شعبة وحجاج قال حدثني شعبة قال سمعت عطاء الخراساني يحدث عنحدثنا """ سعيد بن المسيب أن خولة بنت حكيم السلمية وهي إحدى خال ت النبي صلى ال عليه وسلم سألت النبي صلى ال عليه وسلم عن المرأة تحتلم فقال رسول ال صلى ال عليه وسلم لتغتسلTranslation:26768 -
Musnad Ahmad (مسند أدحمد )hadith-26768
तब खौला मुहम्मद साहब के पास सो गयी , और मुहम्मद साहब ने उसके साथ सम्भोग किया .
अब कोई नई बात पैदा करना मुहम्मद रसूललुल्लाह सलालहो अलेह वासलम को झुटलाना नही है ?
ReplyDeleteलोग इस से भी आगे बड़े और शिर्क करने लगे और कुफ्र तक पहुँच गये इस्लाम नाम से इतनी मोहबत कि सारे शिर्क और कुफ्र काम करने के बाद भी अपने आपको इस्लाम का दाई, आलिम, रहनुमा जैसे लकब लेते रहे और अपनी कारगुजारियो को इस्लाम के नाम पर करते रहे,
ReplyDeleteऔर इनका साथ छुपकर भी नही खुलकर देने लगे तो अल्लाह ने गैर कौमो के ज़रिए मुसलमानो को बेइज्जत और रुसवा कर दिया क्योकि उन्होने अल्लाह के दीन को अपने ही लोगो के हाथो रुसवा होने से नही रोका
ReplyDeleteमुसलमानो को अल्लाह ने इस्लाम के ज़रिए इज़्ज़त बख़्शी थी ना क़लम के ज़रिए, ना ज़ुबानी जंग जीतने के ज़रिए, ना तीर और तलवार जंग के ज़रिए ना लिबास के ज़रिए,
ReplyDelete4-चचेरी बहिन से सहवास
Deleteमुहम्मद साहब के चाचा अबू तालिब की बड़ी लड़की का नाम "उम्मे हानी बिन्त अबू तालिब - أُمِّ هَانِئٍ بِنْتِ أَبِي طَالِبٍ " था .जिसे लोग "फकीतः और " हिन्दा " भी कहते थे .यह सन 630 ईसवी यानि 8 हिजरी की बात है . जब मुहम्मद साहब तायफ़ की लड़ाई में हार कर साथियों के साथ जान बचाने के लिए काबा में छुपे थे .लकिन मुहम्मद साहब चुपचाप सबकी नजरें चुरा कर उम्मे हानी के घर में घुस गए ,लोगों ने उनको काबा में बहुत खोजा .और आखिर वह उम्मे हानी के घर में पकडे गए .इस बात को छुपाने के लिए मुहम्मद साहब ने एक कहानी गढ़ दी और लोगों से कहा कि मैं यरुशलेम और जन्नत की सैर करने गया था .मुझे अल्लाह ने बुलवाया था .उस समय उनकी पहली पत्नी खदीजा की मौत हो चुकी थी वास्तव में .मुहम्मद साहब उम्मे हानी के साथ व्यभिचार करने गए थे .उन्होंने कुरान की सुरा अहजाब की आयत 33:50 सुना कर सहवास के लिए पटा लिया था .यह बात हदीस की किताब तिरमिजी में मौजूद है . जिसे प्रमाणिक माना जाता है . पूरी हदीस इस प्रकार है ,
"उम्मे हानी ने बताया उस रात रसूल ने मुझ से अपने साथ शादी करने का प्रस्ताव रखा , लेकिन मैं इसके लिये उन से माफी मागी . तब उन्होंने कहा कि अभी अभी अल्लाह की तरफ से मुझे एक आदेश मिला है ".हे नबी हमने तुम्हारे लिए वह पत्नियां वैध कर दी हैं ,जिनके मेहर तुमने दे दिये .और लौंडियाँ जो युद्ध में प्राप्त हो ,और चाचा की बेटीयाँ , फ़ूफ़ियों की बेटियाँ ,मामू की बेटियाँ,खालाओं की बेटियाँ और जिस औरत ने तुम्हारे साथ हिजरत की है ,और वह ईमान वाली औरत जो खुद को तुम्हारे लिए समर्पित हो जाये " यह सुन कर मैं राजी हो गयी और मुसलमान बन गयी "
" عَنْ أُمِّ هَانِئٍ بِنْتِ أَبِي طَالِبٍ، قَالَتْ خَطَبَنِي رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم فَاعْتَذَرْتُ إِلَيْهِ فَعَذَرَنِي ثُمَّ أَنْزَلَ اللَّهُ تَعَالَى : (إنَّا أَحْلَلْنَا لَكَ أَزْوَاجَكَ اللاَّتِي آتَيْتَ أُجُورَهُنَّ وَمَا مَلَكَتْ يَمِينُكَ مِمَّا أَفَاءَ اللَّهُ عَلَيْكَ وَبَنَاتِ عَمِّكَ وَبَنَاتِ عَمَّاتِكَ وَبَنَاتِ خَالِكَ وَبَنَاتِ خَالاَتِكَ اللاَّتِي هَاجَرْنَ مَعَكَ وَامْرَأَةً مُؤْمِنَةً إِنْ وَهَبَتْ نَفْسَهَا لِلنَّبِيِّ ) الآيَةَ قَالَتْ فَلَمْ أَكُنْ أَحِلُّ لَهُ لأَنِّي لَمْ أُهَاجِرْ كُنْتُ مِنَ الطُّلَقَاءِ . قَالَ أَبُو عِيسَى لاَ نَعْرِفُهُ إِلاَّ مِنْ هَذَا الْوَجْهِ مِنْ حَدِيثِ السُّدِّيِّ . "-هَذَا حَدِيثٌ حَسَنٌ صَحِيحٌ -
तिरमिजी -जिल्द 1किताब 44 हदीस 3214 पे.522
जब तौहीद का जनाज़ा मस्जीदो से निकालने लगा और सुन्नत के बजाए बिददत ने पाँव पसारे (जहाँ बिददत होती है वहाँ से सुन्नत मिट ज़ाती है)तरीका मुहम्मद रसूललुल्लाह सलालहो अलेह वासलम के बजाए किसी दाई, आलीम, इमाम का अपनाया तो सिर्फ़ और सिर्फ़ नाकामयाबी हाथ लगी है मुसलमानो को !
ReplyDelete5-पुत्रवधु से सहवास
Deleteमुहम्मद साहब के समय अरब में दासप्रथा प्रचलित थी .लोग युद्ध में पुरुषों , औरतों , और बच्चों को पकड़ लेते थे .और उनको बेच देते थे .ऐसा ही एक लड़का मुहम्मद साहब ने खरीदा था . जिसका नाम " जैद बिन हारिस - زيد بن حارثة " था .(c. 581-629 CE) मुहम्मद साहब ने उसे आजाद करके अपना दत्तक पुत्र बना लिया था अरबी में . दत्तक पुत्र (adopt son ) को " मुतबन्ना " कहा जाता है . यह एक मात्र व्यक्ति है जिसका नाम कुरान सूरा अह्जाब 33:37 में मौजूद है .इसी लिए लोग जैद को " जैद मौला "या " जैद बिन मुहम्मद भी कहते थे .यह बात इस हदीस से साबित होती है ,
""حَدَّثَنَا قُتَيْبَةُ، حَدَّثَنَا يَعْقُوبُ بْنُ عَبْدِ الرَّحْمَنِ، عَنْ مُوسَى بْنِ عُقْبَةَ، عَنْ سَالِمِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ عُمَرَ، عَنْ أَبِيهِ، قَالَ مَا كُنَّا نَدْعُو زَيْدَ بْنَ حَارِثَةَ إِلاَّ زَيْدَ بْنَ مُحَمَّدٍ حَتَّى نَزَلَتْ : ( ادعُوهُمْ لآبَائِهِمْ هُوَ أَقْسَطُ عِنْدَ اللَّهِ ) . قَالَ هَذَا حَدِيثٌ صَحِيحٌ . "
तिरमिजी -जिल्द 1 किताब 46 हदीस 3814
कुछ समय के बाद् जैद की शादी हो गयी उसकी पत्नी का नाम "जैनब बिन्त जहश - زينب بنت جحش " था वह काफी सुन्दर और गोरी थी . इसलिये मुहम्मद साहब की नजर खराब हो गयी .उन्होंने घोषित कर दिया कि आज से मेरे दत्तक पुत्र को मेरे नाम से नहीं उसके असली बाप के नाम से पुकारा जाय .और इसकी पुष्टि के लिये कुरान की सूरा 33:5 भी ठोक दी .यह बात इस हदीस से सबित होती है ,
6-रसूल की नीयत में पाप
जैनब को हासिल करने के लिए मुहम्मद साहब ने फिर कुरान का दुरुपयोग किया .और लोगों से जैद को मुहम्मद का बेटा कहने से मना कर दिया , ताकि लोग जैनब को उनके लडके की पत्नी नहीं मानें .
" जैनब कुरैश कबीले की सब से सुंदर लड़की थी .और जब अल्लाह ने अपनी किताब में जैद के बार में सूरा 33 की आयत 5 नाजिल कर दी , जिसमे कहा था कि आज से तुम लोग जैद को उसके असली बाप के नाम से पुकारा करो .,क्योंकि अल्लाह की नजर में यह बात तर्कसंगत प्रतीत लगती है .और यदि तुम्हें किसी के बाप का नाम नहीं पता हो ,तो उस व्यक्ति को भाई कह कर पुकारा करो ,
मलिक मुवत्ता -किताब 30 हदीस 212
मुहम्मद रसूललुल्लाह सललहोअलेहवसलम ने पहले तौहीद कि दावत दि या इस्लाम कि ?
ReplyDeleteजब खुद को तौहीद के सही मतलब नही पता तो दूसरो को क्या सीखयँगे,
एक आसान बात है जिसके पास कुछ नही होता वो किसी को क्या देगा?
चार सी डी या चार किताबे पड़कर कोई आलिम ए दीन या दीन का दाई नही बन जाता, जैसे कोई चार मेडिकल कि किताबे से डॉक्टर कि डिग्री नही मिलती ना उसे इलाज़ करने कि इजाज़त मिल ज़ाती है उसके लिए पूरा डिग्री कोर्स और इल्म और तजुर्बा हासिल करना ज़रूरी है वैसी दीन के मामले मे है,
ReplyDeleteइसके हवाले कि लिए मुहम्मद रसूललुल्लाह सललहोअलेहवसलम जिंदगी के मामलात उठा कर देखे आप किसी क़ौम मे इस्लाम कि दावत के लिए लोगो को भेजते तो उनको भेजते जो जो मुसलमानो मे जाय्दा अक्लमंद अक्लमंद के थे, इल्म रखते थे, इस्लाम सीख चुके थे जिन्हे क़ुरान और सुन्नत का पता होता था जो अपनी जिंदगी मे उसपर अमल करते थे, हर किसी को इस काम के लिए नही भेजा जाता था
ReplyDeleteabe madharchod katwe saale tu fir chaloo ho gaya? saale tere allahki maan chud rahi thi ki vo khud na aa kar ek chootiye arabi muhhmad jo ki ek balatkari aur hatyara tha usko kuran ka sandesh diya.. sala jo likhna bhi nahi jaanta tha.. din bhar apni bakari chodta rahta tha..
ReplyDeletekya bhai maaulana sahab, aap to cyber jehad par utaroo ho gaye hain.. khair ek cheez batayein ki ek rapist, pedophile aur terorist ke dwara suhuru kiye dharm ko log kyon apnayein, aur aisa insan ek paigambar kaise ho sakta hai jisne 6 saal ki choti umr wali ladki se shadi ki, 800 jews ko ek baar mein qatl kar diya, aurton ke saath zabarjasti ki..
ReplyDeletebehandchod aajkal kahan chupa baitha hai.. sale pakistani agent kya apni maan gi gand maar raha hai bhosdi ke.. chinta mat kar beta kyon ki tere din kareeb aa gaye hain.. ab to tera allah bhi teri gand bachane nahi aa payega..
ReplyDeletehindu bhaai tere haal par taras aata he bechaare ko gaaliou ke siwa kuchh bhi nahin aata
ReplyDeleteaor anonymous bhai aap meri april aor may ki post dekhlen wahan aapki samassya ka samaadhaan he
ReplyDelete1--मौसी के साथ कुकर्म
Deleteमुहम्मद साहब की हवस की शिकार होने वाली पहली औरत का नाम " खौला बिन्त हकीम अल सलमिया - خولة بنت حكيم السلمية " था . और उसके पति का नाम "उसमान बिन मजऊम - عثمان بن مظعون " था . खौला मुहम्मद साहब की माँ की बहिन यानि उनकी सगी मौसी ( maternal aunt ) थी . इसको मुहम्मद साहब ने अपना सहाबी बना दिया था . मदीना की हिजरत में मुहम्मद आयशा के साथ खौला को भी ले गए थे .यह घटना उसी समय की है इस औरत ने अय्याशी के लिए खुद को मुहम्मद के हवाले कर दिया था .यह बात मुसनद अहमद में इस प्रकार दी गयी है .
"खौला बिन्त हकीम ने रसूल से पूछा कि जिस औरत को सपने में ही स्खलन होने की बीमारी हो , तो वह औरत क्या करे , रसूल ने कहा उसे मेरे पास लेटना चाहिए "
"Khaula Bint Hakim al-Salmiya,asked the prophet about the woman having a wet dream, he said she should lay with me "
محمد بن جعفر قال حدثنا شعبة وحجاج قال حدثني شعبة قال سمعت عطاء الخراساني يحدث عنحدثنا """ سعيد بن المسيب أن خولة بنت حكيم السلمية وهي إحدى خال ت النبي صلى ال عليه وسلم سألت النبي صلى ال عليه وسلم عن المرأة تحتلم فقال رسول ال صلى ال عليه وسلم لتغتسلTranslation:26768 -
Musnad Ahmad (مسند أدحمد )hadith-26768
तब खौला मुहम्मद साहब के पास सो गयी , और मुहम्मद साहब ने उसके साथ सम्भोग किया .
mulle teri maan aur dadi to musaglon aur nawabon ke yahan chud chud kar tere jaise bhadwon ko paida kar chuki.. aur teri bano ko ham chod chod kar wapas hindu banayeinge..
ReplyDeleteanonymous bhai mujhe nahi lagta k tum kisi khandan se talluk rakhte hoge qki chawal ka ek dana hi bata deta h k saare chawal ka kya hal hai kaya aapke dharm me galiyan or bure labj ka istmal kahi bataya gaya hai sayad nahi qki ucch vichar wale log kabhi tucch bhasa ka istemal nahi karte mujhe aap p gussa kam or taras jiyada aa raha hai allah tumhe hidayt de aamin
ReplyDeleteआप ने भगवन राम के बारे में जो लिखा है की वह श्रृंगी ऋषि के पुत्र थे तो क्या आप को यह भी नहीं मालूम की यदि किसी डॉक्टर के इलाज से संतान हो तो संतान डॉ की नहीं हो जाती. श्रृंगी ऋषि ने रजा दशरथ की पत्नियों का इलाज़ किया था और पुत्रेष्टि याग कराया था. संतानोत्पत्ति के लिए होने वाली चिकित्सा को पुत्रेष्टि याग कहते हैं. वास्तव में यह याग का इतना बड़ा लुप्त विज्ञानं है की इस के बारे में लोगो को उसी तरह नही पता जिस तरह योग और प्राणायाम को लोग भूल चुके थे और आज वह पूरी तरह स्थापित हो गया है. इसी तरह कोई श्रेष्ठ पुरुष यज्ञ को भी स्थापित करेगा.
ReplyDeleteमैं पैदा आर्य ही हुआ और मरूंगा भी आर्य ही. आप लाख ढोंग कर लें हमे बहका नहीं सकते. लाख कमी सही फिर भी इस्लाम से अच्छा है. जो व्यक्ति अपनी गलतियों को मानता हुआ और उन्हें सुधरता हुआ जीवन पथ पर बढ़ता जाता है वह श्रेष्ठ है. हम हिन्दू धर्म में आई हई कमियों और भ्रांतियों और कुछ लुप्त कड़ियों को ढूँढने की कोशिश में लगे हैं तथा जल्द ही ढून्ढ कर प्रमाणित कर देंगे. रही बात जो आपने दूसरी पोस्ट में राधा कृष्ण के लिए कही हैं तो यह तथ्य मैं आपको बता देना चाहता हूँ की वो दोनों गुरु और शिष्य थे न जाने कैसे लोगो ने उन्हें प्रेमी प्रेमिका बना लिया और अनेक मन घडंत बाते लिख दी. यह सब परिणाम है उस मध्य युग का जब अंधकार का काल था और मूर्ति पूजा जैसी चीजे हिन्दू धर्म में आई. किन्तु फिर भी आपके बकरीद से तो अच्छा ही है यहाँ थोड़ी भ्रान्तिया तो है किन्तु हिंसा नहीं. आप कहते हैं की कही धरती पर जानवर बढ़ न जाये तो इसलिए हम उन्हें खाते हैं तो मैं आपसे पूछती हूँ इस समय धरती के बैलंस से ज्यादा संख्या में मानव हैं. २ अरब मनुष्य होने चाहिए और ६ अरब हैं. क्या अब आप मनुष्यों को जिबह करके खा लेंगे. और वैसे भी कहते है की मनुष्य का मांस अन्यो के मुकाबले स्वादिष्ट और पोष्टिक होता है. उस इश्वर ने धरती पर मनुष्य ही एकमात्र नहीं बनाये इस धरती का संतुलन बनाने के लिए अन्य जीव भी बनाये हैं. आज अन्य प्राणी जो इस धरती का संतुलन बनाते है वह लुप्त होते जा रहे हैं. वन नष्ट होते जा रहे हैं. क्या आज की जरूरत यह नहीं की हम उस सृष्टि कर्ता की सृष्टि को बचाने के लिए कुछ प्रयास करें. आपको अपने धर्म प्रचार से कुछ फुरसत मिले तो आप अन्य बातों पर भी सोचें. पृथ्वी की रक्षा करने के तो लिए और हैं क्योकि आपके धर्म के बीच में तो जो भी आता है आप उसे छोड़ कर धर्म अपना लेते हैं. इसी तरह पृथ्वी के नष्ट होने से आपको क्या मतलब है आपको तो बकरीद मनानी है रोज़ मीट खाना है.
ReplyDeleteइस तरह की बाते हमारा धर्म नहीं सिखाता हमारा धर्म सिर्फ मनुष्य मात्र (इंसानियत) की बात ही नहीं प्राणी मात्र की बात कर्ता है. हमारे यहाँ गाय भी उतनी ही आदरणीय है जितने माता पिता. रही बात गाय को देवी मानने की तो गाय किसी देवी से कम नहीं क्योकि जब माँ का दूध नसीब नहीं होता तो यही गाय अपने दूध द्वारा पालन करती है. ऐसी मंगल कारी गाय को हम सिर्फ जीभ के स्वाद के लिए नहीं मार सकते क्योकि हमे पता है की यदि माँ ने हमें जन्म दिया है तो गाय हमे प्रतिदिन अपने दूध से पालती है. आज भारत में दुधारू पशुओं की संख्या इतनी कम हो गयी ही की दूध पीना दूर देखने को नहीं मिलता क्योकि दुधारू पशुओ का क़त्ल किया जा रहा है. कुछ देशकाल को समझिये और अब तो अपनी हठ धर्मिता छोड़ कर कुछ कल्याणकारी कार्य करो.
इससे तो बेहतर होता की आप अपने धर्म में व्याप्त कुरीतिय छोड़ कर कुछ उन्हें दूर करने का प्रयास करते और अपने आप को साबित करते की देखो हमने अपने आप को कुछ बदल लिया है और हम कुछ उदार हो गए हैं. दुसरो की कमी निकलने से अपने भीतर कमी आ जाती हैं इससे अच्छा है की अपनी कमी दूर करने का प्रयास करो. किन्तु आप कहेंगे की हम तो सर्व श्रेष्ठ हैं हमारे अन्दर कोई कमी नहीं है. हमें तो सब कुछ अल्लाह के अंतिम रसूल ने बता दिया है अब हमें किसी श्रेष्ठ ज्ञान की आवश्यकता नहीं. तो मैं आपको एक बात बोलूँगा की जब तक मनुष्य बालक रहता है उसमे नया सीखने की ललक रहती है तब तक उसका विकास होता है युवावस्था आती है किन्तु वृद्धावस्था में वह ओरो की बात को महत्त्व कम देता है उसमे एक प्रकार का घमंड आ जाता है. और कहता है की मुझे पूरी दुनिया का ज्ञान है और यही वो समय होता जब हम उसे कहते है की सठिया गया है अर्थात जब नया सीखने की इच्छा समाप्त हो जाती है तो बुद्धि का विकास रुक जाता है और यह बात सिद्ध है की मनुष्य का वृद्धावस्था में बुद्धि का विकास रुक जाता है. इसीलिए इस घमंड को छोड़ कर बालक वाली बुद्धि युवा की तरह नया खोजने की ललक और वृद्ध जैसा निष्कर्ष क्षमता को अपनाइए क्योकि यदि सिर्फ वृद्धावस्था के घमंड को अपनाते हैं तो मेरे भाई उसके बाद तो सिर्फ मृत्यु ही है.