"इलाह एक ऊंचे सिंहासन पर बैठता है "सूरा -अल मोमिन 40 :१५
ख्याल रहे कि यह जो कुछ इन महाशय ने अपनी और से लिख कर इस पर तुच टिपण्णी की हे यह कही भी पवित्र कुरान में नहीं हे ,और इन्हों ने जो हवाला दिया हे ,अब उसको ध्यान से देखए और भण्डा जी की घटया मानसिकता पर अपना सर धुन्ये, इन्हों ने सूरा अलमोमिनीन की ३३ ,११६ का हवाला दिया हे ,इस सूरा की ३३वी आयत क्या हे उसे देखें ,
और सरदाराने कोम ने जवाब दिया ,जो कुफ्र करते थे ,और आखरत की मुलाक़ात को झुट्लाते थे ,और हमने उन्हें दुनयावी जिंदगी में खुशहाल कर रखा था ,कि यह तो तुम जैसा ही इन्सान हे (सूरा अल मोमनीन ३३) ,यह तो ३३वी आयत थी अब ११६वी आयत देखें ,
अल्लाह ताला सच्चा बादशाह हे ,उसके सिवा कोई पूजा का हकदार नहीं ,वः बजुर्ग अर्श का मालिक हे , (सूरा अलमुमिनीन ११६ )आगे दूसरी इबारत जो सूरा मोमिन के नाम से इन्हों ने लिखी हे ,वः भी सरासर झूट और सो फीसद बोहतान हे ,अब सवाल यह हे कि जो इंसान इतना बड़ा झूठा हो उसकी बात पर क्या ध्यान दिया जाए ,परन्तु भण्डा जी आप को आप को अगर भांडों का शोक हे तो कभी अपने गरीबां में झाक्ये ,वहन आपको भांडे ही भांडे मिलेंगे आप उन्हें शोक से फोडये , जैसे ,में आप को एक मिसाल से समझाता हूँ ,
राम आदर्श हे या रावन
आप राम को आदर्श कहते हें ,में पूछता हूँ कि राम आदर्श हें या रावन , राम ने रावन की बहिन के नाक कान कटवाए परन्तु जब रावन को मोका मिला तो वः भी सीता के नाक कान काट सकता था ,या सीता के साथ कुछ ओर कर सकता था परन्तु उसने एसा नहीं किया ,वः सीता को इज्ज़त से उठा कर ले गया और वहां भी उसने सीता माता को सम्मान से रखा , और जम राम को मोका मिला तो उन्हों ने रावन कि लंका को जला कर ही दम लिया ,,,जारी
आहा ,अब मज़ा आएगा
ReplyDeleteबोल भण्डा फोडू क्या ख्याल हे
ReplyDeleteja dobara se quraan padh
ReplyDeleteसही कहा असलम कासंमी ने
ReplyDeleteमें भी पुष्टि करता हूँ
ReplyDeleteकक
ReplyDeleteअपनी हरकतों से बाज आजा
ReplyDeleteनही तो अंजाम अच्छा नही होगा
ReplyDelete....?
ReplyDeleteरामचन्द्र जी की शान आला है , रावण का क़द ऊंचा करना ब्राह्मण कवियों की साज़िश है ।
ReplyDeleteरामचनद्र जी आदर्श हैं उनके साथ बुरी बातें ब्राह्मणों ने जोड़ी हैं ताकि उन्हें कलंकित किया जा सकता है ।
ReplyDeletenice post
ReplyDeleteDead body of FIRON - Sign of Allah
http://www.youtube.com/watch?v=0hWGjmbAzPs
विडियो
जिसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाये उनको समझाना अधिक कठिन है ,
ReplyDeleteये तो बस आँख बंद कर अपने पूर्वजों के मार्ग पर चलने वालों में से हैं , चाहे आगे गड्ढा हो या कुआं या खायी
dabirnews.blogspot.com
Bhanda Fodu to galat kar rahe hain, Magar aap to aisa naa kare
ReplyDelete@ Giri ji ne sahi kaha hai .
ReplyDelete'इमाम हज़रत अली बिन हुसैन अलैहिस्सलाम ने फरमाया कि कोई मखलूक उस वक्त तक नहीं मरती जब तक कि उसमें से वह नुत्फा न निकल जाये जिससे अल्लाह तआला ने उसको पैदा किया है ख्वाह वह मुंह की तरफ से ख्वाह किसी और जगह से।
इन झूठे लोगों के दिल से इमान कि रूह निकल चुकी है .
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ReplyDeletenice post
ReplyDeleteआपने सही लिखा है आदर्श नहीं हो सकते जो राम को आदर्श कहते हैं वो दुनिया को धोखा दे रहे हैं आदर्श वो वो हो सकता है जो स्वाम भी ऐर्श नियमो का पालन करता हो राम मदिरा का सेवन करते थे मीठ खाते थे और shikar खेलते थे तो वो आदर्शवकैसे हो सकते हैं
ReplyDeletefarhan khan likha hain ram madira pite the mans khate the...aap k mohmmad aurto ki ijjat lutte the ....daru pite the ..lut pat karte the wo aadarsh hain aap k ...nahi to padh lo hiostoty aur hadise thik se ...khadiza k saath jab mohmmad ka nikah hua to uske baap ko sarab pial k sula diya use bad khud sarab kaju mans ki party hui ...ulta chor kotwal ko dante
DeleteFarhan khan ji shree ram isliye aadarsh he ki unhone apne pita ki aagya ka palan kiya. Rakshso ka sanhar kiya .satya ki jeet ke liye adharm ke naash ke liye ravan ka vadh kiya naki uski lanka ko luta aur unhone kabhi madira nahi pee n maans khaya ek bhi udaharan dikha do ranayan me. Hiran ka shikar nahi kiya jab sita ji ne swarn mrag ko lane ko kaha to ram ji uske piche gaye vo rakshash marich tha jo ravan ka guptchar tha uski mukti ram ji ke hatho hona thi vo purv janm me bhagvan vishnu ke dwara likh di gai thi .teer lagte he hiran rakshsh rup me aagya . Ram ji ne koi hiran ko lejar pakakar khaya nahi pehle ramayan pade phir bole
DeleteTHATS GOOD COMMENTS GOAHEAD
ReplyDeleteRam ya Rawan ko sirf ek he ghatna se jod ker nahi dekhna chahiye.Yadi aap ise galat mante hai to koi bat nahi Hindu dharm se yadi unka dharm granth alag ker diya jaye to bhi hindutva ka kuchh nahi bigde ga kyoki hamari puja paddhti hi aisi hai jiske karan hamare dharam ka concept clear hota hai.dharm ka matlab yeh hota hai ki her aadmi ko pure universe ke prati jimmedar banana.hum log apni puja paddhti me her chhote prani se le ker grah nashhtro ke prati shraddha pragat karte hai.Yahi Hindu dharam hai.hum log hamesha shanti ka uchcharan karte hai aor aap log hamesha jihad ka.yadi islam se Kuran ko hata diya jay to islam khatm ho jayega.hamare dharam ki kitabe manushya dwara likha gaya hai usme galtiya ho sakti hai per aap log ka kuran khuda likha hai usme itni bewkufi aou galati kaise hai
ReplyDeleteDr sab edher udher ki bat ker ke aap apne dharam ko jayaj nahi thahara sakte . mera sirf aap se anurodh hai ki yeh batay ki jajiya ke bare me jo bhanda fodu ne likha hai wah sahi hai ya galat. Mohammad ne KHUDA ko ek kabeele ka sardar bana diya hai jo sirf uske hi liye samarpit hai jo usko manega. kya KURAN atankwad ka aadhar nahi hai.....................MUNNA CG
ReplyDeleteभांडा जी का भांडा फूट गया कृपया इस ब्लॉग लिंक पर जाये -
ReplyDeletehttp://keedemakode.blogspot.com/2011/09/blog-post.html
डाक्टर साहब थोड़ा सही करिए अपने अनुवाद को देखेँ सूरा 23 अल मोमिनून" पवित्र क़ुरआन सुगम हिन्दी अनुवाद मूल अरबी सहित "अनुवादक डाँ मुहम्मद अहमद,"वो सर्वोच्च है,अल्लाह,सच्चा सम्राट!उसके सिवा कोई पूज्य प्रभु नहीँ,स्वामी है महिमाशाली सिँहासन का।"
ReplyDeleteभाई सहाब आगे उसी पुस्तक के सूरा 40 अल मोमिन 15 देखिए।"वह ऊँचे दर्जोवाला,सिँहासनवाला है,अपने बन्दोँ मेँ से जिसपर चाहता है,अपने हुक्म से रूह उतारता है,ताकि वह मुलाक़ात के दिन सावधान कर दे।"
ReplyDeletebhai abhishek aapka comment accha hai
ReplyDeleteRavan ki behan ka naak ram ji ne nahi laxman ji ne kata hai
agar koi purush kisi stari ke sath jabrdasti kare to vo galat hota hai agar koi mahila agar kisi purush ke sath jabrdasti kare to vo islaam ke anusaar galat nahi hai kya ????
to fir jara gor farmaiye janab vo sita mata ko uttha ke le gaya tha usse aap ijaat se utha ke le jana bata rahe ho to ek baat batao ki kal ko koi aapki behan ya aapki wife ko utha ke le jaye to vo kya ijjat se utha ke le jana hoga ?????
anwar bhai brahmno ne badnaam krne ke koshish ki aapka jabab galat hai kyuki brahaman hi ram ji ka naam lete hai tum jaise musl il jhut nahi ....aap hinduo ke ander jo brahmno ke khilaf bhidkane ki koshish kar rahe jara apne ander jhank kar dekho
aapki najar me to vo aadmi aadrash hai jo lut paat kare ya dharm ke naam par logo ko mare ..aur 54 saal ki age me 9 saal ki bacchi ke sath blatkar kare ?? kyu sahi hai na janab nikal gayi hekadi
NAFRAT FELAOGE TO NAFRAT MILEGI PYAR BANTOGE TO PYAAR MILEGA
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ReplyDeleteAnonymous ji aap bhi bina tahqiq ke bol rahe ho..
ReplyDeletepahle to ye ke apni biwi ke sath hum bister hone ko balatkar nahi kahte....
aur 9 saal ka apke paas kya suboot hai, aaye me apko sahi disha me le chalta hu...
dhayan de plz......
हज़रत आयशा की बड़ी बहिन( हज़रत अस्मां बिन्त अबुबकर ) जो उन से दस साल बड़ी थीं ,उन्हों ने सो साल की आयु पाई ओर उनका सवरगवास सन बहत्तर हिजरी में हुआ ,इस पर तमाम इतिहासकार सहमत हें ,इस हिसाब से ज़ाहिर हे कि हिजरत के समय हज़रत अस्मां की आयु २८ साल बनती हे ,अर्थात इस समय उन की छोटी बहिन आयशा(जो अस्मां से दस साल छोटी हें ) की उम्र १८ साल हुयी ,ओर यह बात भी तारिख के दामन में महफूज़ हे कि हज़रत मुहम्मद साहब (सल्लाल्लाहुअलेहीवसल्लम) का निकाह हज़रत आयशा के साथ सन एक हिजरी में ओर रुखसती उसके दो साल बाद तीन हिजरी में हुयी , इस का मतलब यह निकलता हे कि निकाह के समय हज़रत आयशा की उम्र १९ साल ओर रुखसती के समय २१ साल थी ,,,,,ओर यह ऐसा गणितीय तर्क हे जिसे झुटलाया नहीं जा सकता ,क्यों कि जो कुछ ऊपर लिखा गया वह तारीखी हकीक़त हे ,जिस से साफ ज़ाहिर होता हे ,कि सात साल कि बच्ची से शादी रसूलुल्लाह (सल्लाल्लाहुअलेहीवसल्लम) पर महज़ मुखालिफीन का इलज़ाम हे , ,,जिस का यकीन नहीं किया जासकता ,,,
http://ilovezakirnaik.com/madamayeshah/index.htm
विवाह के समय सीता जी की आयु 6 वर्ष थी http://azamitariq.blogspot.in/2011/10/6-ali-sohrab.html
ReplyDeleteमहाशय आयेशा जी की उम्र कितनी थी,, और सीता जी की उम्र के साथ साथ कृपया राम जी की उम्र भी बताये और आयेशा के साथ मुहम्मद की उम्र का भी जिक्र करके दोनों के बीच तुलना करे,
Delete14 वर्ष की आयु में सीता ने िशिव धनुूष उठाया था तभी राजा जनक ने सीता का िविवाह ऐसे वर से करने का फेसला िकिया जो िशिव धनुष उठायेगा उसी से सीता का िविवाह होगा 25 वर्ष की आयु में राम गुरूकुल से लोटे बाद उसके उनका िविवाह हुआ अब खुद अंदाजा लगाले सीता की आयु कीतनी होगी और नही पता तो एक जाहील वहशी जानवर की िलिखी कुरान को छोडकर ज्ञानी तुलसीदाास की रामायण पढ ले
Deleteतुम लोगो की माँ का चूत ।
ReplyDeleteकत्वो सालो
" सीता को इज्ज़त से उठा कर ले गया और वहां भी उसने सीता माता को सम्मान से रखा" असलम साहब क्या किसी को उठा कर ले जाना सम्मान है | इस से आपकी मानसिकता का पता चलता है | आज के समय भी अगर कोई किसी को उठा कर चला जय और दो दिन बाद ही बिना छुए भी भेज दे तब आप जैसी लोग ही न जाने क्या क्या बातें बनाते हो और हजारों साल पहले का समय कैसा रहा होगा वह आप नही सोच सकते क्युकी आपको तो कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा चाहिए अपनी बात को ऊंचा रखने के लिए | और कुछ नही मिला तो राम रावन को ही रख दिया | मैंने भी हदीसों को मंगाया है अलीगढ से और उनमें बहुत कुछ भरा पडा है पर मेरा मक्व्साद वो नही है जो तुम्हारा है |
ReplyDelete5-पुत्रवधु से सहवास
ReplyDeleteमुहम्मद साहब के समय अरब में दासप्रथा प्रचलित थी .लोग युद्ध में पुरुषों , औरतों , और बच्चों को पकड़ लेते थे .और उनको बेच देते थे .ऐसा ही एक लड़का मुहम्मद साहब ने खरीदा था . जिसका नाम " जैद बिन हारिस - زيد بن حارثة " था .(c. 581-629 CE) मुहम्मद साहब ने उसे आजाद करके अपना दत्तक पुत्र बना लिया था अरबी में . दत्तक पुत्र (adopt son ) को " मुतबन्ना " कहा जाता है . यह एक मात्र व्यक्ति है जिसका नाम कुरान सूरा अह्जाब 33:37 में मौजूद है .इसी लिए लोग जैद को " जैद मौला "या " जैद बिन मुहम्मद भी कहते थे .यह बात इस हदीस से साबित होती है ,
""حَدَّثَنَا قُتَيْبَةُ، حَدَّثَنَا يَعْقُوبُ بْنُ عَبْدِ الرَّحْمَنِ، عَنْ مُوسَى بْنِ عُقْبَةَ، عَنْ سَالِمِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ عُمَرَ، عَنْ أَبِيهِ، قَالَ مَا كُنَّا نَدْعُو زَيْدَ بْنَ حَارِثَةَ إِلاَّ زَيْدَ بْنَ مُحَمَّدٍ حَتَّى نَزَلَتْ : ( ادعُوهُمْ لآبَائِهِمْ هُوَ أَقْسَطُ عِنْدَ اللَّهِ ) . قَالَ هَذَا حَدِيثٌ صَحِيحٌ . "
तिरमिजी -जिल्द 1 किताब 46 हदीस 3814
कुछ समय के बाद् जैद की शादी हो गयी उसकी पत्नी का नाम "जैनब बिन्त जहश - زينب بنت جحش " था वह काफी सुन्दर और गोरी थी . इसलिये मुहम्मद साहब की नजर खराब हो गयी .उन्होंने घोषित कर दिया कि आज से मेरे दत्तक पुत्र को मेरे नाम से नहीं उसके असली बाप के नाम से पुकारा जाय .और इसकी पुष्टि के लिये कुरान की सूरा 33:5 भी ठोक दी .यह बात इस हदीस से सबित होती है ,
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ReplyDeleteabbey chhotiye koi kisi ko ijjaat se uthake le jaatta hai, agar yahi ijjatt hai to sale tu apni bahan ko mere pass pahucha de.
ReplyDeleteISLAM KOI DHARM NAHIN HAI. YE MOHAMMAD REAL ME EK SHAITAN THA JO MAHAMAD KE NAAM SE JANA JATA THA.. PROOF KE LIYE BHAVISHYA PURAN KO PADHEN...
ReplyDeleteMUSALMAANO KE SAARE KAAM ULTE HOTE HAIN JO SHAITANO K HUA KARTE THE.ULTA PADHTE HAIN ULTA HATH DHOTE HAIN... SABSE PURANA DHARM HINDU DHARMA HAI....
ReplyDeleteMr झाटकर असलम काजमी,
ReplyDeleteराम जी ने किसी की आबरू नही लूूटी मुहम्मद ने औरतो की आबरू लूटी और इसको सही ठहराया
राम जी ने कभी लूट नही की जबकी मुहम्मद की जिंदगी लूट में गुजरी िजिसका 5 प्रतिशत खुद रखता था
राम जी ने कभी दूसरी शादी नही की जबकी मुहम्मद ने 12 शादिया की जिसमे आयशा 9 साल की थी
रामजी ने अन्य औरतो को मॉ का सम्मान दिया जबकि मुहम्मद ने अपनेे ही बेटे जैद की पतनी की इज्जत लूटी
जब मुहम्मद ने जैद (16 साल) को अपना बेटा बनाया तो आयशा(9 साल) को अपनी बेटी क्यो नही बनाया जबकि मुहम्मद 49 साल का बुढा हो चला था इससे पता लगता है मुहम्मद कितना हवशी लूटेरा मान मर्यादा का दुश्मन था
राम जी पर कमंट करने से पहले अपने मुहम्मद की िगिरेबान में झाक िजिसने मरते हए भी आयशा की छाती के बीच िसिर रखकर दम तोडा