पागलों की कमी नहीं ग़ालिब < > एक ढूँढो हज़ार मिलते हैं
२१ अक्तूबर को 'आज तक 'टी वी चैनल ने एक अजीबोगरीब चीज़ दिखाई , एक साधू बाबा का दावा है की उनके पेट मैं छ महीने का बच्चा है , और वह प्र्ग्नेंट हैं ,उनका दावा है की वः तीन महीने बाद एक बच्चे को जन्म देंगें ,खास बात यह हे कि टीवी वालों ने बाबा के पेट की मेडिकल जाँच कराइ तो उस में कुछ न था परन्तु बाबा फिर भी पूरे धड़ल्ले से कह रहे थे की वः पेट से हें ,और उनके पेट में छ महीने का शिशु है जो मेडिकल मशीनों की पकड़ में नहीं आसकता,टीवी वालों ने डाक्टरों को बुलाया और महाराज को और डाक्टरों को आमने सामने बिठाकर इस विषय पर चर्चा की ,डाक्टरों का कहना था की बाबा जो कुछ कह रहे हैं वह एक असंभव ,और निराधार बात हे , ऐसा होना मुमकिन ही नहीं परन्तु बाबा बराबर यह दावा किये जा रहे थे कि ,नहीं , वह हमल से हैं , डाक्टरों का कहना था कि बाबा के बेत पर चर्बी बढ़ी हुई हे ,जिस कारन उनका पेट बड़ा दिख रहा हे ,तो दूसरी ओर बाबा का कहना था कि उनको गर्भवती महिला जैसा दर्द भी महसूस होता ,गर्भवती महिला कि भांति ही जी मत्लाता हे , और वह सोपर्तिशत गर्भवती हें ,जो तीन महीने बाद मन बन जाएगें ,और जिस बच्चे को वह जन्म देंगें ,वह अवतार होगा ,यहाँ आकर बाबा के दावे कि गिरः खुलती हे ,आज कल हिन्दू धर्म गरुओं के सर पर चमत्कारों का बड़ा भूत सवार हे ,यह लोग झूठे चमत्कार दिखाकर आम जनता को ठगते हैं ,'आज तक 'ने कई बार इस्तिंग आपरेशन करने ऐसे बाबाओं को नग्गा कर लिया हे ,परन्तु इन बाबाओं को शर्म नहीं आती , इस लिए आम आदमी को इन से होश्यार रहने कि जरूरत है ,
Monday, October 25, 2010
Wednesday, October 20, 2010
इक़बाल का कलाम एक शायर की लफ्फाजी हे
अनवर जमाल जी
आप के ब्लोग पर आपका लेख अल्लामा इकबाल की नज़्म के हवाले से पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ ,ठीक हे की सर इक़बाल ने राम को इमाम ए हिंद कहा हे ,ग़ालिब अगर शराब की तारीफ करे तो शराब कोई अच्छी चीज़ नहीं बन जा एगी , इक़बाल का कलाम एक शायर की लफ्फाजी हे तो आप की बातें केवल चापलोसीऔर तुष्टिकरण के सिवा कुछ नहीं ,अल्लामा इक़बाल ने राम को इमाम ए हिंद कहा हे तो आज बहुत से तताकथित राम भक्त राम को आदर्श बतलाते हैं ,लेकिन इन में से कोई यह नहीं बतलाता की राम आदर्श केसे हें ? उनकी कोनसी बात को आज यह लोग आदर्श बना सकते हें? क्या यह लोग बता सकते हें की राम राज्य में जो वर्ण व्यवस्था थी और एक शूद्र को धर्म कार्य करने की भी अनुमति नहीं थी ,क्या यह व्यवस्था आज के समय में आदर्श हो सकती हे ? या राम ने अपनी पत्नी की अग्नि परीक्षा लेने के बाद भी उसे घर से निकाल दिया था ,यह बात आदर्श हो सकती हे ? यह वह शिकार खेलते और हर्द्याविनोद की खातिर भी हिरन आदि को मारते फिरते थे यह बात आदर्श हो सकती हे ?या जब शूर्पनखा उनके पास शादी का प्रस्ताव लेकर आई और उन्हों ने झूट बोलते हुए कहा कि मेरे छोटे भाई की शादी नहीं हुई हे तुम उन से शादी का प्रस्ताव रखो ,जब कि उनके इस छोटे भाई कि शादी भी राम के विवाह के साथ ही हो गई थी , तो क्या यह झूट आदर्श हो सकता हे ? या उस भाई को एक मामूली बात पर घर से निकाल देना आदर्श हो सकता हे जिसने जीवन भर अपना सुख त्याग कर राम की सेवा की ,,,,,,,,सोचो आखिर कब सोचोगे ,,,
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